प्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर के लिए विडंबना है कि चार साल में शहर में एक भी नया औद्योगिक क्लस्टर पूरा नहीं हो सका है। विपक्षी दल कांग्रेस को सत्ताधारी दल भाजपा पर निशाना साधने का मौका मिल गया है। 2018 में कनफेक्शनरी क्लस्टर के रूप में छोटे-मध्यम उद्योगों को अंतिम औद्योगिक क्षेत्र मिला था। इसके बाद घोषित हुए खिलौना (टाय) क्लस्टर और फर्नीचर क्लस्टर घोषित हुए, लेकिन पूरे नहीं हो सके।
2016 में इंदौर में खिलौना क्लस्टर की रूपरेखा बनी थी। लगभग चार साल पहले फर्नीचर क्लस्टर घोषित हुआ। खिलौना क्लस्टर की औपचारिक शुरुआत 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और एमएसएमई मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने करते हुए वर्चुअल फीता भी काट दिया। इसके बाद भी राऊ-रंगवासा में बने इस क्लस्टर में एक भी उद्योग खड़ा नहीं हो सका। असल में उद्योगों को कागज पर जमीन तो आवंटित कर दी गई लेकिन न तो पजेशन मिला, न वे कारखाना बना सके। सरकार के इस औद्योगिक क्षेत्र में बैंक लोन भी स्वीकृत नहीं कर रही है।
दूसरी ओर फर्नीचर क्लस्टर की हालत ये है कि पहले जमीन चिह्नित तो कर ली, लेकिन बाद में शासन के ही दूसरे अंग वन विभाग ने उद्योग विभाग के कब्जे पर आपत्ति लगा दी। न शासन आपत्ति दूर करवा सका, न फर्नीचर क्लस्टर जमीन पर आ सका। 2018 में कमल नाथ के मुख्यमंत्री रहते इंदौर में कनफेक्शनरी क्लस्टर घोषित हुआ। इसमें जमीन आवंटन हो गया और विकास कार्य पूरा होने के बाद फैक्ट्रियां भी संचालित होने लगीं।कांग्रेस को इस पर निशाना साधने का मौका मिल गया है। कांग्रेस ने कहा कि औद्योगिक विकास के नाम पर भाजपा दिशाहीन है। बिना सोच और योजना के सिर्फ वाहवाही के लिए औद्योगिक क्षेत्र तो घोषित किए जाते हैं लेकिन असल में काम नहीं होता।मुख्यमंत्री और नीति सब बदलेकांग्रेस के उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अजय चौरड़िया ने कहा कि नाथ की सरकार गिराने के बाद से भाजपा के प्रदेश में दो मुख्यमंत्री बदले। सरकार ने तीन साल पहले उद्योग नीति बदलकर क्लस्टर के विकास की जिम्मेदारी भी उद्योगपतियों पर ही डाल दी। सरकार ने अपनी जिम्मेदारी कम से कम कर ली फिर भी औद्योगिक क्षेत्र का विकास पूरा नहीं हो पाना बता रहा है कि काम कैसे हो रहे हैं।केंद्र में दूसरी बार सत्ता मिली लेकिन इंदौर को एक भी नया औद्योगिक क्षेत्र नहीं दिया। उलटे निजी औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो रहे हैं। हमें पता चला है कि फर्नीचर क्लस्टर में तो उद्योगपतियों ने प्लाट लेने लाइन में लगे उद्योगों को उनके रुपये भी लौटा दिए हैं।साफ जाहिर है कि मेक इन इंडिया के सिर्फ झूठे नारे लगाए जा रहे हैं, जबकि राज्य के साथ केंद्र में भी भाजपा की सरकार है। जबकि सिर्फ 16 महीने में कांग्रेस सरकार ने सफलतापूर्वक इंदौर को नया क्लस्टर दे दिया था।