नगर सहित क्षेत्र के किसानों के द्वारा 23 सितंबर को तहसील कार्यालय पहुंचकर एसडीएम को ज्ञापन देकर धान उपार्जन पंजीयन से गायब रकबे की शिकायत करते हुए व्यवस्था बनाने की मांग की गई है। किसानों ने ज्ञापन में बताया कि मध्य प्रदेश शासन के द्वारा धन उपार्जन पंजीयन 19 सितंबर से प्रारंभ कर दिए गए हैं जो 4 अक्टूबर तक होना है जिसके लिए राजस्व विभाग के द्वारा गिरदावरी की गई थी। जिसमे किस किसान के द्वारा अपनी कितनी भूमि में फसल लगाई गई है जिसके आधार पर किसानों का पंजीयन सेवा सहकारी समितियों में किया जाना है। ताकि संबंधित किसान से उक्त रकबे में निर्धारित उपज खरीदी की जा सके। किंतु पंजीयन के दौरान कुछ किसानों की गिरदावरी दिखाई नहीं जा रही है तो वही कई किसानों के कुछ रकबे गायब ही हो गए हैं। ऐसे में किसान पंजीयन करने में कतरा रहे हैं क्योंकि उनके द्वारा जितने रकबे में उपज लगाई गई है जिसकी गिरदावरी की जानी थी वह प्रदर्शित नहीं हो रही है। जिससे उनका भविष्य में नुकसान की संभावना बनी हुई है जिसमें हल निकाल कर व्यवस्था बनाने की मांग किसानों के द्वारा की जा रही है ताकि समय रहते वह अपनी समस्त उपज शासन को दे सके। जिसपर एसडीएम के द्वारा खाद्य अधिकारी सुनील किरार को मामले में समस्या का हल करने निर्देशित किया गया।
सोसाइटियों के चक्कर लगा रहे किसान
किसानों की गिरदावरी राजस्व विभाग के द्वारा प्राइवेट संस्था के माध्यम से करवाई गई थी। जिसमें उनके द्वारा पोर्टल पर सही जानकारियां अपलोड नहीं करने का आरोप किसानों के द्वारा लगाया जा रहा है। क्योंकि किसी किसान के आठ रकबे है तो उसमें से दो से तीन ही रकबे प्रदर्शित हो रहे हैं और किसी के दो रकबे है तो वह दिख भी नहीं रहे हैं। जिसको लेकर किसान लगातार सोसाइटियों के चक्कर लगा रहे हैं परंतु उनकी समस्या का निराकरण नहीं हो पा रहा है। ऐसे में उनके काम धंधे की भी हानि हो रही है और इधर भी कुछ हासिल नहीं हो पा रहा है। वही बात वर्ष भर की फसल की है 4 अक्टूबर को पंजीयन की अंतिम तिथि है जिस कारण से किसान डरा हुआ है जिससे वह अपना काम धंधा छोड़कर सोसाइटी और तहसील कार्यालय के चक्कर लगा रहा है।
पूर्व मंत्री प्रदीप जायसवाल ने मामले में लिया संज्ञान
पूर्व मंत्री प्रदीप जायसवाल अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार कहीं जा रहे थे तभी उन्हें रास्ते में किसानों के पंजीयन में आ रही समस्या को संज्ञान में लाया गया। जिस पर वह तत्काल तहसील कार्यालय किसानों से मिलने पहुंचे और मामले की विस्तृत जानकारी लेने के उपरांत उनके द्वारा एसडीएम को मामले में तत्काल निराकरण करने के लिए निर्देशित किया गया। वहीं किसानों को भी अस्वस्थ किया गया कि यह समस्या का जल्द निराकरण कर दिया जायेगा। इस अवसर पर पूर्व मंत्री प्रदीप जायसवाल और उनके कार्यकर्ता पदाधिकारी मौजूद रहे।
किसान राकेश ब्रम्हे ने बताया कि वह वारासिवनी के रहने वाले हैं 19 सितंबर से धान उपार्जन पंजीयन प्रारंभ कर दिया गया है। उस दिन से वह पंजीयन के लिए लगातार घूम रहे हैं किंतु पंजीयन नहीं हो रहा है क्योंकि पोर्टल पर जमीन नहीं दिख रही है। इसके लिए आज फिर हम सोसाइटी आए थे और वहां से ज्ञापन देने आए हैं हमारे करीब ढाई एकड़ जमीन है। इसमें अधिकारी देख रहे हैं कहते हैं परंतु गिरदावरी हमारी दिख नहीं रही है। समस्या बहुत हो रही है बार-बार आना जाना हो रहा है पंजीयन के लिए घूम रहे हैं परंतु काम नहीं हो पा रहा है।
किसान दीवानचंद राहंगडाले ने बताया कि शासन के द्वारा जो गिरदावरी कराई गई है उसमें हमारी जमीन के पूरे रकबे नहीं दिखाई जा रहे हैं। दो रकबे दिख रहे हैं जबकि हमारी पूरी जमीन के आठ रकबे है जिसमें दो दिख रहे हैं। ऐसे में हम करीब दो एकड़ की धान बेच सकते हैं और बाकी रकबो की धान बाजार में ले जाकर सस्ते दाम में बेचना पड़ेगा। जिससे हमें समस्या ही होना है जिसके लिए हम सोसाइटी में आना-जाना कर रहे हैं और लगातार मांग कर रहे हैं कि हमारे पूरे रकबे पंजीयन में दिखाया जाये। ताकि हम शासन को एक मुस्त अपनी पूरी धान दे सके।
पूर्व समिति अध्यक्ष शैलेंद्र सेठी ने पदमेश से चर्चा में बताया कि पहले मध्य प्रदेश शासन पटवारी से गिरदावरी करती थी अब प्राइवेट संस्था से गिरदावरी करवाई गई है। पोर्टल में किसान की जमीन अपलोड सही तरीके से नहीं की गई है जिससे कई किसान परेशान है। किसान यदि आसानी से 100 कुंटल धान सोसाइटी में देना चाहता है तो उसके 5 से 6 रकबे है जिसमें दो रकबे दिखाई दे रहे हैं यानी 1 से 2 एकड़ जमीन की ही वह धान दे सकता है। पंजीयन दोबारा नहीं होता है और यह सब समिति में दिखता है बाहर जो ऑनलाइन प्रक्रिया या मोबाइल से पंजीयन होता है उसमें समझ नहीं आता जिस कारण से समस्या है। किसान दिन भर बैठ रहे हैं परेशान हो रहे हैं चक्कर लगा रहे हैं अंतिम तारीख पास में है पोर्टल पर पूरी जमीन नहीं दिख रही है यह पूरे प्रदेश की समस्या है जिसके लिए एसडीएम को ज्ञापन दिये हैं।
समिति प्रबंधक दिनेश परिहार ने बताया कि वारासिवनी ही नहीं पूरे जिले की समस्या है की राजस्व विभाग को 4 महीने पहले गिरदावरी करने के लिए कहा गया था इस 4 महीने में ऐसी गिरदावरी की गई कि अब किसान आ रहे हैं तो उनके 10 रकबे में दो ही दिख रहे हैं। किसान और समिति का चोली दामन का साथ है इसलिए हम उन्हें इसकी जानकारी स्पष्ट दे रहे हैं यदि यह बाहर पंजीयन होगा तो उन्हें परेशानी होगी। क्योंकि 100 क्विंटल धान लेकर जाएंगे तो 20 क्विंटल ही समिति खरीद पाएगी इसके लिए ज्ञापन दिए हैं। यह पंजीयन सभी जगह से हो रहे हैं किसान अपने मोबाइल से भी कर सकता है हर स्तर पर हो रहा है किसी की 5 एकड़ खेती है तो दो एकड़ दिख रही है तीन एकड़ नहीं बता रही है।