| आखिर सम्राट ने अपने नाम को सार्थक कर ही दिया। जिला पंचायत के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में विजय पाने के बाद वास्तव में वे जिले के सम्राट हो गए । क्योंकि जिला पंचायत के अंतर्गत संपूर्ण जिले के ग्रामीण अंचल की 699 ग्राम ग्रामपंचायतों जिनमें 15 लाख से अधिक जनसंख्या निवास करती है, का नेतृत्व अब सम्राट एवं उनकी टीम के हाथों में है । केंद्र एवं प्रदेश सरकार की जितनी भी कल्याणकारी योजनाएं हंै उनका क्रियान्वयन जिला पंचायत के माध्यम से ही होता है । जिला पंचायत अध्यक्ष राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है। जिले के लिए यह पद सांसद से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होता है । इस दृष्टि से देखा जावे तो सम्राट के सिर पर यह कांटो का ताज है । पन्द्रह लाख की आबादी के हितों का संरक्षण उन्हें करना है । यह भी सत्य है कि राजनीति के दल -दल में वे पहली बार उतरें है , हालांकि उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीति से सरोबार रही है । लगभग 60 वर्षों पूर्व जिसमें से हाल ही के पांच सात वर्ष निकाल दें तो, कांग्रेस की पूरी राजनीति, आज सम्राट अपने नाना स्वर्गीय ठाकुर राणा हनुमानसिंह जी के जिस खानदानी बंगले में निवासरत है उनके इसी बंगले से चलती थी । सम्राट के पिता अशोक सिंह सरसवार भी इसी बंगले से दो बार बालाघाट के विधायक चुनकर आए । इसलिए माना जा सकता है सम्राट ने राजनीति की घुट्टी बचपन से ही पी है , तथा राजनीति इनके खून में रची बसी है । हालांकि वक्त के साथ राजनीति की दिशा और दशा बदल गई है । सम्राट के पिता अशोक सरसवार ने भी विधायकी के दौरान अपने स्वर्गीय नाना की तर्ज पर पूर्ण ठकुराई दिखाते हुए राजनीति की है, अर्थात उन्होंने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया, साफ सुथरी राजनीति की, खरी -खरी बातें कहने के वे आदि रहे हैं । कांग्रेस के स्थानीय नेता हो, प्रदेश स्तर के नेता हो या राष्ट्रीय स्तर के नेता हों, के बगैर प्रभाव में आए अपनी बात ठकुराई अंदाज में कह देते थे, इसका खामियाजा राजनीति में उन्हें तो भुगतना ही पड़ा लेकिन आज उनके बेटे को जिला पंचायत में कांग्रेस का अधिकृत प्रत्याशी घोषित नहीं किए जाने को भी इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है बालाघाट विधानसभा में 2008 से लगातार 3 बार,14 वर्षो से भाजपा के गौरीशंकर बिसेन विधायक है, इसके बावजूद आज भी अशोक सरसवार बालाघाट विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के सर्वमान्य लोकप्रिय नेता हंै। जनता आज भी उनकी स्तरीय राजनीति का गुण गान करती है । इसी का परिणाम रहा कि विधायक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग अध्यक्ष तथा जिले में भाजपा के कद्दावर नेता गौरीशंकर बिसेन के विधानसभा के क्षेत्र क्रमांक 20 से उनके पुत्र सम्राट ने जिला पंचायत सदस्य के रूप में विजय प्राप्त की। सर्वविदित है कि सम्राट को हराने में श्री बिसेन ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी । इस क्षेत्र से पार्टी में सरसवार के विरोधियों ने बागी प्रत्याशी मैदान में उतारकर सम्राट को हराने की असफल कोशिश भी की । खैर अब जबकि सम्राट अध्यक्ष निर्वाचित हो चुके हैं तो उन पर जिम्मेदारी है कि अपने पिता और नाना की राजनैतिक विरासत को पुन: प्रतिस्थापित करें । हालांकि पूर्व के वर्षो की राजनीति और आज की राजनीति तथा पूर्व के नेता और आज के दौर के नेताओं के आचरण और व्यवहार में जमीन आसमान का अंतर है और इस अंतर के अहसास को ध्यान में रखकर सामंजस्य बनाते हुए जिले में अपना एक अलग अस्तित्व का निर्माण करने तथा राजनैतिक प्रतिद्वंदिता से परे जिले की जनता के जनकल्याण की दिशा में अपनी सार्थक भूमिका का निर्वहन करने के साथ ही साथ कांग्रेस और कांग्रेसजनों के बीच भी एक नई ऊर्जा का संचार सम्राट करेंगे इन्ही आशा और शुभकामनाओं के साथ…. (उमेश बागरेचा)
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