सूचना के अधिकार अधिनियम जोकि नागरिकों को सशक्त बनाने एवं सरकार के कार्यों में पारदर्शिता व भ्रष्टाचार को नियंत्रण करने के लिए बनाया गया है जिसमें सभी सरकारी विभागों में इसके लिए लोक सूचना अधिकारी नियुक्त किया जाता है एवं इसका एक बोर्ड लगावाकर , इसका एक कक्ष भी निर्धारित होता है परंतु नगर पालिका बालाघाट में ऐसा कोई ना बोर्ड लगा है, और ना ही इसका कक्ष निर्धारित किया गया है, और आने वाले लोगों को यह पता भी नहीं है कि, यहां का लोक सूचना अधिकारी कौन है
जिस प्रकार से सूचना के अधिकार अधिनियम लाया गया था जिसमें नागरिकों को सशक्त बनाने एवं सरकार के हो रहे कार्यों में पूरी पारदर्शिता लाने व भ्रष्टाचार को नियंत्रण करने के लिए आम आदमी को सूचना के तहत अधिकार मांगने एवं कोई भी कार्यों की जानकारी हेतु सूचना का अधिकार अधिनियम बनाया गया है जिसके लिए सभी शासकीय विभागों में एक लोक सूचना अधिकारी नियुक्त किया जाता है एवं सभी सरकारी कार्यालयों में एक इसका एक बोर्ड लगा होता है जिस पर पूरी जानकारी उपलब्ध होती है कि लोक सूचना अधिकारी कौन है और इसमें कौन-कौन अधिकारी नियुक्त किए गए हैं और इसका कक्ष क्रमांक कहां पर है जो कि सभी विभागों में देखा जा सकता है
किंतु बात करे नगरपालिका बालाघाट की तो यहां पर ऐसा कोई भी ना कक्ष है और ना ही ऐसा कोई बोर्ड यहां पर चस्पा किया गया है जिस पर यह स्पष्ट लिखा हो कि यदि किसी बाहरी व्यक्ति को सूचना के अधिकार के तहत यदि कोई जानकारी लेना हो तो वह किस अधिकारी से संपर्क करें या इसका कक्ष कहां पर बनाया गया है
यह बहुत दुःख का विषय है यह जिला मुख्यालय में स्थित नपा है -योगराज लिल्हारे
जिसको लेकर के विपक्ष के पार्षद योगराज कारू लिल्हारे बताते है कई सूचना के अधिकार अधिनियम जो कि केंद्र सरकार के द्वारा लाया गया है और इसका स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए और बड़े-बड़े शब्दों में इसके बोर्ड लगे रहना चाहिए जबकि देखा जाए तो आम जनता अपने अधिकार के लिए यहां आती है तो इसका उल्लेख नहीं होने की वजह से वह वापस चले जाते हैं और नगरपालिका बालाघाट की बात करें तो यहां पर कहीं भी स्पष्ट रूप से उल्लेखित नहीं किया गया है कि सूचना का अधिकार अधिनियम की जानकारी या इसके अधिकारी कौन है इसका कक्ष कहां पर है यह बहुत दुख का विषय है देखा जाए तो यह जिला मुख्यालय में स्थित नगरपलिका है और यहां पर ही ऐसी स्थिति है कि सूचना का अधिकार का बोर्ड नहीं है या कक्ष नहीं है और यदि कोई अधिकारी नियुक्त है तो वह कहां बैठते हैं जिसके लिए आम जनता को भटकना पड़ रहा है यह चीजें बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है जबकि यह अधिनियम केंद्र सरकार के द्वारा बनाया गया है और इस विषय पर मुख्य नगरपालिका अधिकारी को संज्ञान लेना चाहिए इस त्रुटि को दुरुस्त करना चाहिए
प्रदेश के मुखिया के निर्देश का कितना पालन हो रहा है- शफकत खान
पूर्व पार्षद शफकत खान बताते हैं कि इसका एक बोर्ड बाहर लगा हुआ है जबकि कोई भी व्यक्ति यदि आता है तो वह अंदर आकर ढूंढता है कि अंदर वह कक्ष कहां है उसके प्रभारी कौन है और इसका कहीं भी संकेत दर्शाया नहीं गया है और यदि जब इसे ढूंढने जाओगे तब ही इसके अधिकारी मिलेंगे या तो फिर नहीं मिलेंगे क्या कारण है कि शासन के जो निर्देश है उसकी अवहेलना नगर पालिका के द्वारा की जाती है जबकि देखा जाए तो यह लोगों का अधिकार है कि वह सूचना के अधिकार में जानकारी प्राप्त करें और वह चीज यहां पर प्रदर्शित नहीं की जा रही है और जो लोग नए हैं वहां किसी जानकारी के लिए आते हैं तो इधर-उधर घूम के वापस चले जाते हैं और यदि जिन्हें पता है जो नगरपालिका के हैं जानकार वही वहां तक पहुंच पाते हैं जबकि हमारे द्वारा ऐसे कई विषय उठाए गए पर नगर पालिका के द्वारा उन बातों पर अमल नहीं किया जाता है जबकि या शासन के निर्देश है उनका तो पालन होना चाहिए जबकि देखा जाए तो प्रदेश के मुखिया जो निर्देश दे रहे हैं उसका यहां कितना पालन हो रहा है वह बालाघाट नगर पालिका में देखने को मिल सकता है