नटवरलाल पिता-पुत्र को रीवा ईओडब्‍ल्‍यू ने भोपाल से पकड़ा

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लम्बे समय से ईओडब्ल्यू के लिए चुनौती बने नटवरलाल पिता-पुत्र को आखिरकार रीवा ईओडब्ल्यू की टीम ने भोपाल से गिरफ्तार कर लिया है। इतना ही उनका एक साथी भी पुलिस के हाथ लगा है और उन्हें पकड़कर ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं के तहत कार्रवाई की है।

रीवा के रहने वाले हैं पिता-पुत्र : ईओडब्ल्यू रीवा के एसपी वीरेन्द्र जैन ने बताया कि आरोपित संजय मिश्रा और उनके पुत्र आष्कृत मिश्रा निवासी कैलाशपुरी रीवा एवं उनका साथी रघुराजा निवासी भोपाल को गिरफ्तार किया गया है। पकड़े गए आरोपितों ने अभी तक जो जानकारी दी है उसके तहत प्रदेश के लगभग 20 जिलों से 10 लाख रुपये की वसूली विभिन्न विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों से की है

खुद को बताते थे ईओडब्ल्यू का अधिकारी : एसपी ने बताया कि पकड़े गए आरोपी एमपी के रीवा, पन्ना, श्योपुर, गुना, भोपाल सहित लगभग 20 जिलों के पटवारी, आरआइ सहित अन्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों को फोन करके न सिर्फ अपने को ईओडब्ल्यू का टीआइ बताते थे बल्कि उनसे जांच आदि की बात कह कर रुपये ऐंठ रहे थे। इस दौरान उन्होंने 10 लाख रुपये की वसूली किए जाने की बात बताई है। वहीं उम्मीद है कि पूछताछ में अभी और बातें सामने आ सकती हैं।

10 हजार रुपये का था ईनाम : ईओडब्ल्यू के एसपी ने बताया कि आरोपितों के खिलाफ मिली शिकायत के चलते अगस्त 2021 में मामला दर्ज किया गया था। उनकी तलाश किए जाने के साथ ही 10 हजार रुपये का ईनाम भी घोषित किया गया था। वहीं सायबर सेल भोपाल की मदद से ईओडब्ल्यू रीवा के अधिकारियों ने आरोपी पिता-पुत्र और उनके साथी को भोपाल से गिरफ्तार करके रीवा लेकर आई है।

लोकायुक्त के नाम से भी कर चुके हैं वसूली : एसपी श्री जैन ने बताया कि कैलाशपुरी रीवा निवासी संजय मिश्रा और उनका पुत्र आष्कृत मिश्रा अवैध वसूली के काम में लम्बे समय से लगे हुए हैं। वर्ष 2019 में वे रीवा के सिविल लाइन थाना में पकड़े गए थे। उस समय यह बात सामने आई थी कि आरोपी खुद को लोकायुक्त का अधिकारी बता कर रीवा एवं आसपास के क्षेत्र के अधिकारियों एवं कर्मचारियों से रुपयों की वसूली करते हुए पकड़े गए थे। जिसके चलते उनका मोबाइल नम्बर एवं खाते आदि सीज किए गए थे।

यही वजह रही कि बाद में आरोपित रीवा छोड़कर भोपाल चले गए और अपने साथी रघुराजा की मदद से प्रदेश भर में अपना नेटवर्क फैलाकर वसूली के कार्य में लगे हुए थे। चूंकि उनके खाते आदि की जांच पुलिस कर रही थी। जिसके चलते उन्होंने अपने इस अवैध धंधे को अपने साथी रघुराजा की मदद से संचालित कर रहे थें और व अपने साथी रघुराजा के खाते में रुपये ट्रांसर्फर करवाते थे।

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