नहीं रहे ‘राई’ के राजा रामसहाय पांडे, कमर में मृदंग, पैरों में घुंघरू बांध जापान-फ्रांस तक को नचाया, समाज ने किया था बेदखल

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सागर: बुंदेलखंड के प्रसिद्ध राई नर्तक रामसहाय पांडे का 97 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने राई नृत्य को 24 देशों में पहचान दिलाई। उनका निधन सागर के एक निजी अस्पताल में हुआ। वे लंबे समय से बीमार थे। उनके निधन पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दुख जताया है। रामसहाय पांडे ने 12 साल की उम्र से ही राई नृत्य करना शुरू कर दिया था। उन्होंने इस नृत्य को दुनिया भर में पहचान दिलाई।

कौन हैं रामसहाय पांडे

उनका जन्म 11 मार्च 1933 को सागर जिले के मड़धार पठा गांव में हुआ था। बाद में वे कनेरादेव गांव में बस गए। यहीं से उन्होंने राई नृत्य की शुरुआत की। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा, ‘बुंदेलखंड के गौरव, लोकनृत्य राई को वैश्विक पहचान दिलाने वाले लोक कलाकार पद्मश्री श्री रामसहाय पांडे जी का निधन मध्यप्रदेश और कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। लोक कला एवं संस्कृति को समर्पित आपका सम्पूर्ण जीवन हमें सदैव प्रेरित करता रहेगा। परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत की पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान और परिजनों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति दें।’

य पांडे का 97 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने राई नृत्य को 24 देशों में पहचान दिलाई। उनका निधन सागर के एक निजी अस्पताल में हुआ। वे लंबे समय से बीमार थे। उनके निधन पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दुख जताया है। रामसहाय पांडे ने 12 साल की उम्र से ही राई नृत्य करना शुरू कर दिया था। उन्होंने इस नृत्य को दुनिया भर में पहचान दिलाई।

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