नेतन्याहू का फैसला, खुफिया एजेंसी मोसाद के प्रमुख को भेजा जाएगा अमेरिका, जानिए क्या है मामला

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जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद विभिन्न देशों के साथ अमेरिका के संबंधों की नई शुरुआत हो रही है। ईरान के साथ भी ऐसा ही हो रहा है। जो बाइडेन ने संकेत दिए हैं कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जिस परमाणु संधि को अमान्य करार दे दिया था, अमेरिका एक बार फिर उसका हिस्सा बना सकता है। यह बात इजराइल को ठीक नहीं लग रही है। यही कारण है कि इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने खुफिया एजेंसी मोसाद के प्रमुख को अमेरिका भेजने का फैसला किया है। मोसाद के प्रमुख योसी कोहेन जल्द वॉशिंगटन में जो वाइडेन से मिलेंगे। बता दें, इजराइल और ईरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। दोनों देशों के बीच जंग जारी है जिसका अखाड़ा सीरिया बना गया है।

अमेरिका से क्या चाहते हैं नेतन्याहू

इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू चाहते हैं कि अमेरिका को यदि ईरान के साथ संबंध सुधारने हैं तो वह उसे साथ नई परमाणु डील करें। इसी संदेश के साथ नेतन्याहू अपने किसी भरोसेमंद को अमेरिका भेजना चाहते थे और अब मोसाद के चीफ का चयन हुआ है। खबर है कि योसी अगले महीने वॉशिंगटन जा सकते हैं और वहां सीआईए के चीफ से मिलेंगे। यह पहला मौका होगा जब बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद इजराइल का कोई प्रतिनिधि अमेरिका जाएगा।बता दें, अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु संधि 2015 में हुई थी। यह तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा की सबसे बड़ी सफलता थी। दोनों देशों के बीच तय हुआ था कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करेगा और बदले में अमेरिका से प्रतिबंधों से छूट मिलेगी। ट्रम्प ने अमेरिका को इस संधि से वापस ले ली थी यह कहते हुए कि इससे अमेरिका को कुछ हासिल नहीं हुआ। वहीं अब बाइडेन राष्ट्रपति बने तो उन्होंने ट्रम्प का फैसला पलटने के संकेत दिए हैं।

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