चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और भारत के पड़ोसी देश नेपाल की सेना के बीच करीबी अब बढ़ती जा रही है। पिछले महीने चीनी सेना का एक प्रतिनिधिमंडल नेपाल के जोमसोम में ऊंचाई पर युद्ध कौशल सीखाने वाले स्कूल के दौरे पर पहुंचा था। इस दौरान काठमांडू में नेपाली दूतावास के भी अधिकारी मौजूद थे। विश्लेषकों का मानना है कि चीनी सेना पीएलए के इस दल का नेपाल दौरा दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में बढ़ते सहयोग को दर्शाता है। नेपाल के इस वॉरफेयर स्कूल को साल 2021 में खोला गया था और तब से लेकर अब अक्सर चीनी सेना का दल यहां पहुंचता रहता है।
नेपाल की तरह से ही एक स्कूल भारत ने गुलमर्ग में बना रखा है। चीनी सेना का दल पोखरा, कागबेनी, लोमनथांग और कोराला के दौरे पर भी गया था। यह दल करीब एक सप्ताह तक नेपाल में रहा। कोराला जहां चीन और नेपाल की सीमा पर है जहां जमीनी रास्ते से एक-दूसरे के यहां लोग जाते हैं। इसके अलावा नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर भी है जो कोराला को भारत- नेपाल सीमा पर भैरहवा से जोड़ता है। यही नहीं हिंदुओं के लिए पवित्र कैलाश मानसरोवर की यात्रा भी अब कोराला से होगी न कि तातोपानी से। अब तक तातोपानी से यह यात्रा होती थी। भारत सरकार ने इस साल गर्मियों में इस यात्रा का प्लान बनाया है।
ओली राज से नेपाल और चीन में बढ़ी दोस्ती
वहीं पोखरा की बात करें तो भारत की सीमा कुछ किमी दूर बसे इस शहर में चीन ने इंटरनैशनल एयरपोर्ट बनाया है जो नेपाल के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है। इस एयरपोर्ट पर कोई भी उड़ान नहीं उतरती है। वहीं नेपाल ने इसके लिए चीन से करोड़ों डॉलर का लोन ले रखा है। चीन और नेपाल के बीच मजबूत होते रिश्ते का एक और संकेत यह है कि हाल ही में नेपाल के विदेश मंत्री नारायण काज श्रेष्ठ चीन के दौरे पर गए थे। इस यात्रा के दौरान नेपाली नेता ने अन्य चीनी वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ युआन जिआजून से मुलाकात की थी जो पोलित ब्यूरो के सदस्य हैं और चर्चित वैज्ञानिक भी हैं।
इस दौरान 14 बॉर्डर ट्रेडिंग पोस्ट को लेकर चर्चा हुई थी। नेपाल और चीन के बीच तब से रिश्ते में गर्माहट बढ़ गई है जब से नेपाल में केपी शर्मा ओली के समर्थन से प्रचंड सरकार बनी है। केपी शर्मा ओली जब पीएम थे, तब वह चीन के इशारे पर नाचते थे। चीनी राजदूत के इशारे पर ओली ने नेपाल का नया नक्शा जारी किया था। इसमें कालापानी समेत भारतीय इलाकों को नेपाल का बताया था। यही नहीं अयोध्या को लेकर भी ओली ने विवादित दावा किया था। ओली ने भारत के खिलाफ कई जहरीले बयान दिए थे। अब ओली के फिर से शक्तिशाली होने पर चीन ने अपनी गतिविधि बढ़ा दी है।