मोदी सरकार द्वारा साल 2016 में की गई नोटबंदी को आज (सोमवार 8 नवंबर 2021) पूरे पांच साल हो गए। नोटबंदी के बाद से देश में डिजिटल पेमेंट में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि इन पांच वर्षों में डिजिटल लेनदेन के साथ नोटों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है। जानकारों के मुताबिक देश में कोरोना महामारी को देखते हुए जनता ने नकद कैश रखना जरूरी समझा। इस कारण पिछले वित्त वर्ष में नोटों की संख्या बढ़ गई।
नोटों के बढ़ने की रफ्तार जारी
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार डेबिट, क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग और यूपीआई से डिजिटल पेमेंट में भारी बढ़ोतरी हुई है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम का यूपीआई एक प्रमुख माध्यम के रूप में सामने आया है। इन सबके बावजूद नोटों का बढ़ने की रफ्तार धीमी रही, लेकिन जारी है।
काले धन पर रोक लगाना था मकसद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2021 को 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों को बंद करने का ऐलान किया था। भारत सरकार के इस फैसले का मकसद काले धन पर रोक लगाना और डिजिटल भुगतान को बढ़ाना था। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार 4 नवंबर 2016 को 17.74 लाख करोड़ रुपए के नोट चलन में थे। 29 अक्टूबर 2021 को 29.17 लाख करोड़ रुपए हो गए हैं।
इस साल बढ़ा नकद का चलन
आईबीआई के अनुसार 30 अक्टूबर 2020 तक नोटों का मूल्य 26.88 लाख करोड़ रुपए था। 29 अक्टूबर 2021 तक 2,28,963 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई। वार्षिक आधार पर 30 अक्टूबर 2020 को 4,57,059 करोड़ और एक नवंबर 2019 को 2,84,451 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई।
नोटों के चलन में इतनी हुई वृद्धि
वहीं नोटों के चलन में मूल्य और मात्रा में 2020-21 में 16.8 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई थी। 2019-20 के दौरान 14.7 फीसद और 6.6 फीसद की वृद्धि रिकॉर्ड की गई। वित्त वर्ष 2020-21 में नोटों की संख्या में बढ़ोतरी का कारण कोरोना वायरस रहा। महामारी के दौरान लोगों ने नकदी को पहले प्राथमिकता दी।