न्यायपालिका की पवित्रता vs पवित्र भावना: सीजेआई चंद्रचूड़ के घर पीएम मोदी की गणेश आरती पर भारी हंगामा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के यहां जाकर भगवान गणेश की आरती की। इस पर भारी विवाद खड़ा हो गया है। कुछ लोग इसे न्यायपालिका की पवित्रता पर दाग की तरह देख रहे हैं तो एक वर्ग विरोधियों की बौखलाहट देख खुशी का इजहार कर रहा है। जस्टिस चंद्रचूड़ देश के सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस (सीजेआई) हैं। यह न्यायपालिका का सर्वोच्च पद है। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री कार्यपालिका के शीर्ष पदों में से एक पर विराजमान हैं। ऐसे में जब सीजेआई का न्योता पीएम को जाएगा तो उन्हें ठुकराने की कम ही गुंजाइश रहती है। संभवतः इसी वजह से प्रधानमंत्री ने सीजेआई के यहां जाना वाजिब समझा और गए भी। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया के जरिए खुद इसकी जानकारी भी दी। उन्होंने एक एक्स पोस्ट में गणेश आरती की तस्वीर साझा की। पीएम ने लिखा, ‘सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रूचूड़ जी के घर पर गणेश पूजा में शामिल हुआ। भगवान श्री गणेश हम सभी को सुख, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें।’

जजों की आचार संहिता का उल्लंघन: प्रशांत भूषण

सीजेआई के घर पीएम के जाने पर सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने हैरानी जताई है। उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘हैरत होती है कि सीजेआई चंद्रचूड़ ने मोदी को निजी मुलाकात के लिए अपने आवास पर आने की अनुमति दी। इससे न्यायपालिका को बहुत बुरा संकेत मिलता है, जिस पर नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि सरकार संविधान के दायरे में काम करे। इसलिए कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक दूरी होनी चाहिए।’ उन्होंने दूसरी पोस्ट में जजों के लिए आचार संहिता का जिक्र कर कहते हैं कि इसका उल्लंघन हुआ है। उन्होंने लिखा, ‘न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता: एक न्यायाधीश को अपने पद की गरिमा के अनुरूप एक हद तक दूरी बरतनी चाहिए। वो ऐसा कोई कार्य या चूक नहीं करे जो उसके उच्च पद और उस पद के प्रति सार्वजनिक सम्मान के प्रतिकूल हो। आचार संहिता का उल्लंघन।’

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