पूर्व गृह मंत्री स्व. पंडित नंदकिशोर शर्मा के भतीजे, स्व. पंडित भीकमचंद शर्मा के सुपुत्र सेवा सहकारी समिति मर्यादित लालबर्रा के पूर्व अध्यक्ष अनिल ‘बब्बीÓ शर्मा ने अपने निज निवास में २३ जनवरी को प्रेसवर्ता आयोजित कर पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग अध्यक्ष, क्षेत्रीय विधायक गौरीशंकर बिसेन द्वारा जो मानसिक संतुलन खोकर शर्मा परिवार के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी की जा रही है उस पर कटाक्ष करते हुए श्री शर्मा ने कहा कि क्षेत्रीय विधायक गौरीशंकर बिसेन विगत कुछ दिनों से सुर्खियों में बने रहने के लिए कभी मीडिया कर्मियों, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी, स्व. पंडित नंदकिशोर जी शर्मा, स्व. पंडित भीकमचंद शर्मा जी, वारासिवनी विधायक प्रदीप जायसवाल, लांजी विधायक हिना कावरे पर तो कभी श्री सरस्वार परिवार पर अभद्र टिप्पणी कर अपने मानसिक दिवालियापन को जनमानस तक परोसने का काम कर रहे हैं साथ ही एक तरफ वे स्व. पं. नंदकिशोर शर्मा जी की प्रतिमा को लाकर उनके सामने नत मस्तक होकर शर्मा परिवार पर किये गये एहसानों का सार्वजनिक रूप से बखान करते है। श्री शर्मा ने कहा कि आपको मंै बता दूं कि श्री बिसेन जो आज स्वस्थ और मस्त है वह स्व. पंडित नंदकिशोर शर्मा व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी की देन है वरना पैसे का अभाव आपकों कहा ले जाता यह मनन करना होगा साथ ही श्री बिसेन को चेतावनी देते हुए श्री शर्मा ने कहा कि आप हमेशा बड बोलापन के शिकार होते जा रहे है आपको बता दूं कि हमारे शर्मा परिवार में आठ युवा है जो शिक्षित पढ़े लिखे हैं जिनमें डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, जैसे बड़े पदों पर हैं और सभी ताकतवर है यदि आपके द्वारा दोबारा पंडित स्व. नंदकिशोर जी शर्मा, स्व. भीकमचंद जी शर्मा पर अभद्र टिप्पणी की तो इसका जवाब हमारे द्वारा सड़क पर उतरकर व सार्वजनिक मंच पर दिया जायेगा आप इंतजार करें, हम आपको अब आपके हर सवाल का जवाब देने तैयार हैं।
्रशर्मा परिवार सड़क पर उतरकर करेगा विरोध प्रदर्शन
श्री शर्मा ने कहा कि कमलनाथ को श्री बिसेन अपने घर में बुलाते है और उसके बाद कमलनाथ जी का अपमान करते है एक तरफ सम्मान करते है वहीं दुसरी ओर अपमान कर रहे है जब दिग्विजयसिंह मुख्यमंत्री थे उस समय दिग्विजयसिंह व स्व. पं. नंदकिशोर शर्मा जी श्री बिसेन के पास रूपये नही थे तो दिग्विजयसिंह ने उनका बाईपास सर्जरी करवाया था जिस व्यक्ति ने उन्हे नया जीवनदाना दिया है उसे नकार रहे है जिससे सोच सकते है वे किस मानसिकता के है इसलिए मैं चाहता हूं कि कुछ बोलने के पहले सोचना व मनन करना चाहिए कि क्या बोल रहे है अगर हमारे परिवार के बारे में दोबारा अनर्गल बयानबाजी करेगें तो सड़क में उतरकर विरोध किया जायेगा एवं उनके द्वारा शर्मा परिवार सहित अन्य लोगों पर भी टिप्पणी की जा रही है। साथ ही यह भी कहा कि जमाल चाचा, रसुल खान व अन्य लोगों पर आरोप लगा रहे है कि उन्होने मुझे मारने की कोशिश की है अगर वे मारते तो आज जिंदा नही रहते और जब वे जिंदा थे तब बोलना था तब मैं मानता कि आप नेता है एवं आप बड़े है परन्तु बड़े होने के साथ ही बड बोलापन में कुछ भी बोल रहे है जो गलत है।
श्री शर्मा ने आयोग अध्यक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पं. स्व. नंदकिशोर शर्मा जी ने ४० साल राज किया है उस समय रूपये कम आते थे एवं योजना भी कम आती थी आज रूपये अधिक आ रहा है इसलिए वाहवाही कर रहे है और स्व. पं. नंदकिशोर शर्मा व स्व. पं. भीकमचंद शर्मा पर अनर्गल बयानबाजी करते हुए नजर आ रहे है जबकि उन्होने इस लालबर्रा मुख्यालय को राजस्व की घास मद की जमीन को व्यवस्था में लेकर गरीबों की गरीबी दूर की है, लालबर्रा को पहचान उन्होने दिलवाई है साथ ही स्व. शर्मा जी ने छोटे-छोटे दुकानदार जैसे नाई, धोबी, चमार व पानठेले जैसे अन्य लोगों को बसाकर रोजगार उपलब्ध करवाया है और वे सभी का सम्मान करते थे, उन्होने ही लालबर्रा को देश व प्रदेश में पहचान दिलवाई है उनके समय में किसी कि भी मान-मर्यादा व आत्मसम्मान को ठेस नही पहुंचा परन्तु हम कुछ दिनों से देख रहे है कि गौरी भाऊ अपना आपा खो देते है और कहते है कि स्व. पं. नंदकिशोर शर्मा, स्व. पं. भीकमचंद शर्मा जी ने कुछ नही किया है वे कहते है कि भीकमचंद शर्मा के सुपुत्र को बता देना कि लालबर्रा कालेज का नाम हम पं.दीनदयाल उपाध्याय किया है जबकि मेरे पिताजी ने जमीन खरीदकर महाविद्यालय के लिए दान की थी और उनके द्वारा इस जमीन से फसल उत्पादन कर बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था प्रदान की थी गौरी भाऊ बता दे कि इस तरह उन्होने कोई कार्य किया हो।
श्री बिसेन बताये पं. दीनदयाल उपाध्याय का लालबर्रा विकास में क्या योगदान है
श्री शर्मा ने कहा कि महाविद्यालय का नाम मेरे पिताजी स्व. भीकमचंद शर्मा जी के नाम से करने की मांग मैने की थी क्योंकि जिस तरह से दानदाता जटाशंकर त्रिवेदी के नाम महाविद्यालय बालाघाट का नाम, मुलना जी के नाम से मुलना स्टेडियम है तो फिर जब मेरे पिताजी ने महाविद्यालय के लिए जमीन दान की है तो महाविद्यालय का नाम मेरे पिताजी के नाम पर क्यों नही हो सकता और इस संबंध में मैने कोर्ट में याचिका भी दायर की है जिसका निर्णय अभी नही आया है तो क्या आप कोर्ट से बढ़कर है और न्यायालय का जो भी निर्णय होगा मुझे मान्य है। श्री शर्मा ने कहा कि महाविद्यालय के प्रवेश गेट पर पं. दीनदयाल उपाध्याय महाविद्यालय लालबर्रा लिखा दिया गया है जिनके द्वारा यह लिखाया गया है उनके विरूध्द मैं हाईकोर्ट में कंटेम की कार्यवाही कर रहा हूं और वे मुझे बताये की पं. दीनदयाल उपाध्याय का लालबर्रा में क्या योगदान रहा है, मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं उन्होने देश व आरएसएस के लिए बहुत कुछ किया होगा परन्तु लालबर्रा के लिए उन्होने क्या किया।
गौरी भाऊ विकास नही विनाश कर रहे है
श्री शर्मा ने कहा कि लालबर्रा बाजार अतिक्रमण में नही बसा है यह घास का रकबा था जिसमें कालम नंबर १२ में घास के नीचे जनपद बाजार शब्द लिखा हुआ है उस समय बहुत बुरा दौर था लोगों के पास रोजगार नही था हमारे स्थानीय लोग कहा जायेगें इसलिए यह व्यवस्था की गई थी इस बुरे दौर में जमींदारी व्यवस्था थी, लोग जमींदारों के यहां काम करने जाते थे जिससे उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नही थी उनको इस विषम परिस्थिति में रोजगार उपलब्ध करवाना बहुत बड़ी बात थी साथ ही यह भी कहा कि गौरी भाऊ कहते है कि वे विकास कर रहे है वे विकास नही लालबर्रा का विनाश कर रहे है कोई किसी को भला कैसे उजाड़ सकता है हम तो चाहते है कि आप २६ जनवरी को उन्हे सम्मान करने के साथ स्थाई पट्टा दे व दुकान बनाकर रोजगार उपलब्ध करवाये।
बुजुर्गों का सम्मान करना है तो घर में स्वागत है अन्यथा प्रवेश न करे
श्री शर्मा ने कहा कि आयोग अध्यक्ष श्री बिसेन एक ओर स्व. नंदकिशोर शर्मा, स्व. भीकमचंद शर्मा जी का सम्मान करते है तो वहीं दुसरी ओर सार्वजनिक मंच से उनके द्वारा उन्हे अपमानित किया जाता है यदि अब श्री बिसेन के द्वारा हमारे बुजुर्ग जो इस दुनिया से चले गये है उनका अपमान किया जायेगा तो हम उन्हे सार्वजनिक मंच पर जवाब देगें अब हम उनका किसी भी तरह का अपमान नही सहन करेगें चाहे अंजाम जो भी हो। श्री शर्मा ने कहा कि क्षेत्रीय विधायक गौरीशंकर बिसेन के द्वारा २७ वर्षों से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया जा रहा है उन्हे अब क्षेत्र का विकास दिखाई दे रहा है अब तक वे कहा थे और उनके द्वारा जो इस दुनिया से चले गये है उनके विरूध्द अनर्गल बयानबाजी की जाती है जब वे जीवित थे तब उनसे सवाल करना था उन्होने क्या किया है और हमें पता है कि आप कितने बार स्व. पं. शर्मा जी से चुनाव हारे है वे बुजुर्ग है मैं उनका सम्मान करता हूं परन्तु वे अपनी भाषा का सही उपयोग करें साथ ही श्री बिसेन पर कटाक्ष करते हुए श्री शर्मा ने कहा कि हमारे बुजुर्गों का सम्मान करोगें तो घर में स्वागत है अन्यथा उनके लिए हमारे घर के दरवाजे बंद है।