वसंत ऋतु के आगमन के साथ जंगल में लगने वाले पतझड़ और सूखे पत्ते वन विभाग के लिए आगजनी की घटना को रोकने के प्रबंधन और सुरक्षा की चिंता को बढ़ाती जा रही है। यह चिंता उस समय और अधिक लाज़मी हो जाती है जब बीते वर्ष के दौरान रिकॉर्ड संख्या में आगजनी की घटनाएं हुई हो। इस विषय पर सबसे पहले हमने मैदानी स्तर पर काम करने वाले 1 सुरक्षाकर्मियों से चर्चा की तो उन्होंने यही बताया कि आगजनी की घटनाएं जिले के भीतर वर्ष दर वर्ष बढ़ती गई। लेकिन उस हिसाब से संसाधन उपलब्ध नहीं हो पाए नतीजा अल्प संसाधन में मैदानी अमला काम कर रहा है।
मुख्य वन संरक्षक एनके सनोडिया बताते हैं कि वन विभाग में बीते कई वर्षों से मैदानी अमले वनरक्षक और अन्य कर्मचारियों की कमी बनी हुई है ऐसे में अल्पसंख्यकों और कम कर्मचारियों के बाद भी कोशिश यही रहती है कि भोपाल से मिलने वाले फायर अलार्म को ध्यान में रखते हुए आग पर नियंत्रण पाया जाए।
इस दौरान चर्चा में सीसीएफसी श्री सनोडिया इस बात की जानकारी भी देते हैं कि जंगल की आग जमीन पर लगती है जो जंगल के लिए हानिकारक तो है ही लेकिन थोड़ी बहुत लाभदायक भी है। आग लगने से पेड़ों के फल आग की गर्मी में बेहतर तरीके से बीज बन जाते हैं। बारिश में मैदानी स्तर पर घास बेहतर तरीके से उगती है। इसके बावजूद भी जंगल को आग से सुरक्षित रखना वन विभाग का पहला काम है।