पवार क्षत्रीय समाज संगठन द्वारा कुछ दिन पूर्व ही नई कार्यकारिणी का गठन करते हुए अध्यक्ष एवं महासचिव का मनोनयन किया गया यह निर्वाचन प्रक्रिया विवादों में आ गई है। पवार क्षत्रिय समाज संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने इस प्रक्रिया को अवैधानिक करार देते हुये इस पूरी निर्वाचन प्रक्रिया का विरोध किया और विधिवत चुनाव कराए जाने की बात कही है। यह बात पवार क्षत्रीय समाज संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने स्थानीय सर्किट हाउस में पत्रकार वार्ता आयोजित कर कही।
पत्रकार वार्ता के दौरान पवार क्षत्रिय समाज संगठन के पूर्व मुख्य सचिव लोचन सिंह देशमुख ने बताया कि पवार क्षत्रिय संगठन जो बना है यह हमारे ही घर से समाज के बुजुर्ग जनों के सहयोग से शुरुआत हुई थी। 11 नवंबर सन 1990 को पहली बैठक हुई थी, यह सुनकर आश्चर्य होगा बालाघाट जिले में पवार बाहुल्य जिला होने के बावजूद जिले का कोई संगठन नहीं था यह पहला संगठन जिले का हुआ जिसमें अभी तक सात अध्यक्षों ने अध्यक्षता कर चुके हैं तीन-तीन वर्ष के कार्यकाल में लेकिन खिरसागर पारधी जो वर्तमान में रहे। यह वर्ष 2009 में अध्यक्ष बने इनका वर्ष 2012 तक कार्यकाल था लेकिन 2022 तक जमे रहे। इनसे कई बार पत्राचार किया अखिल भारतीय पवार समाज के अध्यक्ष रह चुके बीएम शरणागत को भी पत्राचार कर जिले को संभालने कहा गया लेकिन उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की। हमारे द्वारा फर्म सोसाइटी को लिखा गया उन्होंने कहा 23600 रुपये देने पर संगठन का रजिस्ट्रेशन रिनिवल हो जाएगा, इस बात से इनको अवगत कराया गया लेकिन इनके द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया। सब तरफ से प्रेशर बढ़ने पर 24 तारीख को समाज के लोगों ने सोचा विधिवत चुनाव करेंगे, इससे खीरसागर पारधी द्वारा बौखलाकर बैठक के नाम से समाज के लोगों को बुलाकर चुनाव करवा दिया गया। हम लोग इसके विरोध में हैं यह चुनाव नहीं है हम विधिवत चुनाव चाहते हैं।
श्री देशमुख ने कहा कि समाज के लोगों को जानकारी मिलना चाहिए उन्होंने समाज के साथ धोखा किया है यदि हम समाज के है तो धोखा बर्दाश्त नहीं करेंगे, नहीं तो आने वाली पीढ़ी हमको कोसेगी। उन्होंने यह भी कहा कि इसके पीछे संलिप्तता किसकी है आप सब जानते हैं बालाघाट जिले में कौन सा आदमी सत्यानाश कर रहा है हमारा पवार छात्रावास में समाज के बुजुर्गों के नाम से पत्थर लगे थे विधायक गौरीशंकर बिसेन ने उसे सत्यानाश कर दिया और हमारे बुजुर्गों के नाम बर्बाद कर दिया। इस बात को बोलने से लोग डरते हैं इन्होंने समाज का बहुत नुकसान किया है आप आज बालाघाट जिले में सिर्फ अपना शिलालेख देखना चाहते हैं। हमारे बुजुर्गों का नाम बर्बाद कर दिया है सत्ता में आने के बाद उनकी सब हां में हां मिलाते हैं लेकिन इसका मैं विरोध कर रहा हूं। जिले के लोगों ने गलत हाथ में नेतृत्व सौंपा है और जिले का भविष्य खराब कर दिए हैं। यहां समाज को भी बर्बाद कर दिए यही स्थिति लालबर्रा में भी चल रही है यहां एक ही नेता का हाथ चल रहा है, जिसको समाज का गौरव कहते हैं जबकि गौरव नहीं समाज का सबसे बड़ा कलंक साबित हो रहा है।
इस दौरान समाज संगठन के पूर्व मुख्य सचिव रहे बलिराम भैरम ने संगठन के निर्माण के संबंध में शुरुआत से जानकारी विस्तार पूर्वक देते हुए बताया कि अब तक पवार क्षत्रीय समाज संगठन में सात अध्यक्ष रहे हैं और सातवें कार्यकारिणी में अध्यक्ष के संबंध में यह बैठक रखी गई है जिसमें अध्यक्ष खिरसागर पारधी और सचिव वेदप्रकाश पटेल थे। खीरसागर पारधी का कार्यकाल वर्ष 2009 से वर्ष 2012 तक का था लेकिन यह संगठन में ऐसे बैठे वर्ष 2022 तक कोई आमसभा नहीं की। 3 वर्ष तक संगठन का कार्यकाल था विशेष परिस्थिति में संगठन 6 माह के लिए बढ़ाया जा सकता था, संगठन की 1200 दिन की उम्र थी लेकिन 12 साल जबरन खींचा गया। इसी से दुखी होकर उन्हें यह बैठक करनी पड़ी है, 4 सितंबर 2022 को समाज के लोगों ने प्रस्ताव पास किया नई कार्यकारिणी बनाई जाए। इसके लिए 15 सदस्यीय कमेटी वरिष्ठ पदाधिकारी फत्तूलाल बिसेन की अध्यक्षता में गठित की गई थी, हाथ से कुर्सी जाते देख तत्काल एक बैठक पवार छत्रिय महासभा के नाम से की, जबकि हमारे संगठन का नाम है पवार क्षत्रिय संगठन। इसमें अध्यक्ष ऐसे व्यक्ति को बनाया जिन्हें विशेष जानकारी नहीं थी यह कहे की उन्हें बलि का बकरा बनाया गया। मीडिया में बताया गया सर्वसम्मति से बैठक हुई जबकि बैठक सर्वसम्मति से नहीं हुई। एफ एल बिसेन ने सबके बीच में कहा गया था इसको अवैध घोषित करते हैं जिसका सारे समाज ने करतल ध्वनि से स्वागत किया, उसको छिपाकर समाज को अंधेरे में रखा जा रहा है इसी बात से दुखी होकर हमें बात सबके सामने लाना पड़ रहा है।
इस अवसर पर मौजूद पूर्व मुख्य सचिव एफ एल बिसेन ने भी बताया कि वे वर्ष 2009 में मुख्य सचिव थे खीरसागर पारधी को समाज के अध्यक्ष के रूप में विशेष परीस्थिति में मनोनीत किया गया था। उसके बाद इनका 3 वर्ष का कार्यकाल था, 3 वर्ष बाद नई कार्यकारिणी का गठन करना था लेकिन कार्यकारिणी से निवर्तमान ना होकर 12 वर्ष तक डटे रहे। अनेक पत्राचार करने के बावजूद भी नई कार्यकारिणी की संरचना नहीं की, इसके कारण 24 अगस्त को एक बैठक हुई जिसमें पारित हुआ 4 तारीख के पूर्व एक बैठक आयोजित की जाए जिसमें इस संदर्भ में विस्तृत चर्चा हो। 4 तारीख को बैठक में उन्हें अध्यक्षता करने का भार सौंपा गया, समाज के लोगों द्वारा कहा गया 12 वर्ष होने के कारण खिरसागर पारधी की कमेटी भंग की जाए व नवीन कार्यकारिणी के गठन के लिए निर्वाचन कमेटी का गठन किया जाए, दोनों प्रस्ताव पारित किए गए, उस निर्वाचन समिति की अध्यक्षता के रूप में मुझे दायित्व दिया गया 1 माह के अंदर हम जिला पवार क्षत्रीय समाज संगठन का निर्वाचन करके देंगे लेकिन उन्होंने शक्तिशाली प्रयोग करते हुए 11 तारीख को बैठक आयोजित की।
पूर्व मुख्य सचिव श्री बिसेन ने बताया कि 12 वर्ष के कार्यकाल में खीरसागर पारधी ने न तो कोई बैठक कराई न आमसभा ना ही सामान्य सभा कराई। आवश्यक जानकारी नहीं भेजे जाने के कारण रजिस्ट्रार कार्यालय में संगठन का रजिस्ट्रेशन कार्यवाही नहीं होने के चलते संगठन मृतप्राय हो गया। इस संदर्भ में 11 तारीख को बैठक थी और वहां अचानक घोषणा कर दी गई, घोषणा के पहले न तो निर्वाचन अधिकारी की घोषणा की और निर्वाचन प्रक्रिया न अपनाते हुए सीधे नाम की घोषणा कर ओंकार सिंह बिसेन को अध्यक्ष के लिए घोषणा कर दिया गया। इस पर उनके द्वारा व्यक्तिगत तौर पर ओंकार सिंह बिसेन को मंच पर ही कहा गया यह अवैध है यह नहीं होना चाहिए, आपको स्वीकार नहीं करना चाहिए अभी घोषणा वैधानिक रूप से नहीं हुई अमान्य की जाती है। यह सुनकर पूर्व विधायक श्री बिसेन द्वारा उठकर माइक हाथ में लेकर स्वीकारते हुए कहां गया बैठक में अध्यक्ष के लिए प्रस्तावित किया गया इसे अस्वीकार करते हैं। इतनी बात होने के बाद बैठे लोग जाने लगे लेकिन वहां बैठे कुछ लोगों द्वारा ओंकार सिंह बिसेन को माला पहनाकर उन्हें अध्यक्ष घोषित कर दिया गया, इस प्रकार से अवैधानिक तरीके से की गई अध्यक्ष एवं महासचिव की नियुक्ति का हम सभी लोग विरोध करते हैं।