पहले बयान फिर बनाई दूरी, संघ का बीजेपी को संदेश… चुनाव नतीजों के बाद RSS के क्यों बदले तेवर?

0

‘400 पार’ का नारा बुलंद कर लोकसभा चुनाव में उतरी केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को अपेक्षित परिणाम नहीं आए। हालांकि, बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन फिर सरकार बनाने में सफल रहा। नरेंद्र मोदी ने हैट्रिक लगाते हुए लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इसी बीच आरएसएस की ओर से कुछ ऐसे बयान आए जिससे सवाल उठे कि क्या संघ और बीजेपी में सबकुछ ठीक है? ये चर्चा इसलिए शुरू हुई क्योंकि आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने बिना नाम लिए बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भगवान राम की भक्ति करने वाली पार्टी अहंकारी हो गई थी, इसलिए 241 पर सिमट गई। इस चुनाव में बीजेपी का अहंकार ध्वस्त हो गया। जैसे ही ये कमेंट आया तो सियासी गलियारों में बीजेपी-आरएसएस में मतभेद की अटकलें तेज हो गईं। इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी कुछ ऐसी टिप्पणी की थी जिससे लगा कि वो भी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन से कुछ खफा हैं। यही नहीं बीजेपी-आरएसएस के बीच मतभेद की चर्चा अब राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बन गई।

संघ प्रमुख भागवत के बयान से उठे सवाल

पहले बताते हैं कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने क्या कहा था। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद इसका विश्लेषण करते हुए नागपुर में आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने पिछले दिनों टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि जो मर्यादा का पालन करते हुए काम करता है, गर्व करता है लेकिन अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों में सेवक कहलाने का अधिकारी है। इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार को नसीहत भी दी। उन्होंने मणिपुर हिंसा का भी जिक्र किया और कहा कि कर्तव्य है कि इस हिंसा को अब रोका जाए। संघ प्रमुख के इस बयान में कहीं न कहीं निशाना प्रधानमंत्री मोदी पर था क्योंकि उन्होंने कई मौकों पर खुद को प्रधान सेवक के तौर पर पेश किया था। चुनाव नतीजों के तुरंत बाद आए मोहन भागवत के कमेंट से सियासी घमासान तेज हुआ ही थी। इसके बाद आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने भी बीजेपी नेतृत्व की आलोचना की थी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here