पांच साल में 2767 करोड़ रुपये निजी प्लांट को दिए, बिजली एक रुपये की नहीं ली

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 बिजली कंपनी की फिजूलखर्ची का खामियाजा आम जनता को महंगी बिजली खरीदकर भरना पड़ता है। मनमाने ढंग से बिजली खरीदी का करार करने की वजह से बीते पांच साल में बिजली कंपनी ने निजी पावर प्लांट संचालकों को मालामाल कर दिया है। करीब 2767 करोड़ रुपये इन प्लांट को नियत प्रभार के बांट दिए। बदले में इन पैसों की एक यूनिट बिजली भी नहीं उपयोग की। पूरे पांच साल में बिजली कंपनी ने निजी, सरकारी उपक्रम को करीब 12731 करोड़ रुपये दिए हैं।

प्रदेश की बिजली कंपनी 20 हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली की उपलब्धता का दावा कर रही है। जबकि प्रदेश में बिजली की मांग बढ़ती नहीं दिख रही है। रबी सीजन में 15-16 हजार मेगावाट के आसपास सर्वाधिक बिजली की मांग होती है। औसत सामान्य दिनों में यह मांग 10 हजार मेगावाट के आसपास होती है। ऐसे में बिजली के अतिरिक्त करार होने से उसका उपयोग ही नहीं हो पा रहा है। बिजली कंपनियों ने बिना बिजली लिए भी तय नियत प्रभार पावर प्लांट को देना पड़ता है। यही सबसे बड़ा बोझ होता है। बिजली वितरण कंपनी आम उपभोक्ता से भी नियत प्रभार के नाम पर शुल्क वसूली करती है। इस राशि को भी इसी वजह से उपभोक्ता हर माह देता है। इसमें केंद्रीय उपक्रमों से मिलने वाले हिस्से भी बिजली उपयोग में नहीं ली जा सकी है। इसमें करीब 4609.79 करोड़ रुपये की विगत पांच साल में बिजली छोड़ी गई है।

3919 करोड़ का घाटा बताया : प्रदेश की पावर मैनेजमेंट कंपनी की तरफ से वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए जो याचिका मप्र विद्युत नियामक आयोग में दाखिल की गई है उसमें राजस्व में जरूरत का 3919 करोड़ रुपये का अंतर जाहिर किया गया है। इस अंतर को पूरा करने के लिए ही बिजली कंपनी ने औसत 8.71 फीसद बिजली के दाम में इजाफा करने की मांग रखी है।

जेनको निजी प्लांट केंद्रीय कुल

2016-17 1895.93 658.07 779.79 3333.79

2017-18 588.79 394.37 362.90 1346.06

2018-19 289.02 427.45 402.19 1118.66

2019-20 1486.26 757.15 1466.91 3710.31

2020-21 1094.38 530.73 1598 3223.11

नोट- विगत पांच साल में अलग-अलग क्षेत्रों में छोड़ी गई बिजली की राशि करोड़ों में

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बिजली कंपनी मनमाने बिजली करार की वजह से हर साल करोड़ों रुपये पावर प्लांट का भुगतान कर रही है जबकि अतिरिक्त बिजली का उपयोग प्रदेश के उद्योग, किसानों को सस्ती दर पर बिजली देकर किया जा सकता है इससे प्रदेश में उत्पादन और आय दोनों बढ़ेगी।

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