शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक गोवा में हो रही है। इस बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी भी शामिल होंगे। करीब 12 साल बाद कोई पाक मंत्री भारत आएगा। बिलावल का भारत आना लोगों के मन में कई तरह के सवाल पैदा कर रहा है, जब दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहद नाजुक है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री का भारत आना कई मायनों में खास है। पाक की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है। बिलावल से पहले हिना रब्बानी खान 2021 में भारत दौरे पर आई थीं।
बिलावल भुट्टो के भारत आने का कारण SCO की बैठक है। जिसमें रूस और चीन के विदेश मंत्री भी शामिल हैं। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ उनकी वार्ता के कार्यक्रम की फिलहाल घोषणा नहीं की गई है। इसका सबसे बड़ा कारण आतंकवाद है। भारत ने साफ कहा है कि आतंकवाद पर चर्चा किए बिना पाकिस्तान से बातचीत नहीं हो सकती है।
SCO Meeting: पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो का भारत दौरा, वीडियो जारी कर कही ये बात
KUSHAGRA VALUSKARUpdated Date: | Thu, 04 May 2023 02:33 PM (IST)Published Date: | Thu, 04 May 2023 02:33 PM (IST)
SCO Meeting: शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक गोवा में हो रही है। इस बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी भी शामिल होंगे। करीब 12 साल बाद कोई पाक मंत्री भारत आएगा। बिलावल का भारत आना लोगों के मन में कई तरह के सवाल पैदा कर रहा है, जब दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहद नाजुक है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री का भारत आना कई मायनों में खास है। पाक की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है। बिलावल से पहले हिना रब्बानी खान 2021 में भारत दौरे पर आई थीं।ADVERTISEMENThttps://imasdk.googleapis.com/js/core/bridge3.572.0_en.html#goog_70565665https://imasdk.googleapis.com/js/core/bridge3.572.0_en.html#goog_70565668Ads by
बिलावल भुट्टो के भारत आने की वजह?
बिलावल भुट्टो के भारत आने का कारण SCO की बैठक है। जिसमें रूस और चीन के विदेश मंत्री भी शामिल हैं। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ उनकी वार्ता के कार्यक्रम की फिलहाल घोषणा नहीं की गई है। इसका सबसे बड़ा कारण आतंकवाद है। भारत ने साफ कहा है कि आतंकवाद पर चर्चा किए बिना पाकिस्तान से बातचीत नहीं हो सकती है।
क्या है एससीओ?
एससीओ की स्थापना 15 जून 2001 को हुई थी। इसमें जातीय और धार्मिक तनाव को दूर करने के अलावा व्यापार और निवेश को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया। शंघाई सहयोग संगठन में 8 सदस्य देश हैं। इनमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, भारत, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। इसके अलावा पर्यवेक्षक देश में ईरान, अफगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया हैं।