मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने एक महत्वपूर्ण मामले में इंदौर के ही एक प्राइवेट अस्पताल से रिपोर्ट मांगी है। मामला एक 42 वर्षीय किसान की याचिका से संबंधित है, जो गंभीर लिवर रोग से पीड़ित है। इस याचिका में किसान ने अदालत से अपनी 17 वर्षीय बेटी को लिवर का एक हिस्सा दान करने की अनुमति देने की अपील की है। किसान का कहना है कि उसकी बेटी उनकी जान बचाने के लिए लिवर का एक हिस्सा दान करना चाहती है, लेकिन इसके लिए कानूनी अनुमति की आवश्यकता है। इस पर अदालत ने अस्पताल से इस संबंध में रिपोर्ट तलब की है ताकि याचिका पर उचित निर्णय लिया जा सके।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में याचिकाकर्ता शिवनारायण बाथम (42) की याचिका पर सुनवाई हो रही है। उनके अधिवक्ता नीलेश मनोरे ने बताया कि हाईकोर्ट के जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी ने एक प्राइवेट अस्पताल से दो दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी है, जहां बाथम को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। अदालत ने इस याचिका पर अगली सुनवाई की तारीख 20 जून निर्धारित की है।
शिवनारायण बाथम पिछले छह वर्षों से लिवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। उनकी पांच बेटियां हैं, जिनमें सबसे बड़ी बेटी प्रीति (17 साल 10 महीने) ने अपने पिता को लिवर का एक हिस्सा दान करने की इच्छा जताई है। अधिवक्ता मनोरे ने यह भी बताया कि बाथम इंदौर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले किसान हैं। उनके पिता 80 वर्ष के हैं और उनकी पत्नी डायबिटीज की मरीज हैं। इस स्थिति में, उनकी सबसे बड़ी बेटी प्रीति ने अपने पिता की जान बचाने के लिए लिवर का हिस्सा दान करने का निर्णय लिया है।
शिवनारायण बाथम की गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने लिवर ट्रांसप्लांट की तात्कालिक आवश्यकता जताई है। हालांकि, उनकी बेटी प्रीति की उम्र 18 साल से कम होने के कारण डॉक्टरों ने ट्रांसप्लांट करने से मना कर दिया है। डॉक्टरों ने स्पष्ट किया है कि अगर 15 दिनों के भीतर मरीज का लिवर ट्रांसप्लांट नहीं हुआ तो मल्टी ऑर्गन फेलियर का खतरा बढ़ सकता है।