केंद्र सरकार के द्वारा गरीब वर्ग को पक्के आवास देने की मंशा से प्रधानमंत्री आवास योजना प्रारंभ की गई है और शासन के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में डेढ़ लाख रूपये दिये जा रहे है जिससे गरीबों का पक्का आवास बन सके परंतु शासन की यह योजना बढ़ती महंगाई के चलते विफल होती दिख रही है।
हितग्राही अपने पक्के आवास के निर्माण की चाह में अपनी पुस्तैनी जमीन व जेवरात बेचकर कर्जदार बनता जा रहा है इसके बावजूद भी उसका आशियाना वर्तमान समय तक पूर्ण नहीं हो पाया है। महंगाई के इस दौर में जितनी राशि शासन से मिल रही है उतने में मकान बनना संभव नही है और मिट्टी का आलीशान मकान को तोड़कर अब पक्के मकान की चाह में हितग्राहियों को अपनी पुस्तैनी जमीन व जेवरात बेचकर या फिर दुसरे से कर्ज लेकर मकान बनाना पड़ रहा है वहीं जो हितग्राही मकान का निर्माण नही शुरू किया है उस पर पंचायत सचिव, रोजगार सहायक व अधिकारियों के द्वारा दबाव भी बनाया जा रहा है जिससे हितग्राही मानसिक रूप से परेशान है।
पीएम आवास के ब्लाक समन्वयक गौरीशंकर रहांगडाले ने बताया कि पीएम आवास योजना के तहत वर्ष २०२१-२२ में ७६८८ मकान स्वीकृत हुए है जिसमें कुछ हितग्राहियों ने निर्माण कार्य शुरू नही किया है और महंगाई बढऩे के कारण पीएम आवास के निर्माण कार्य हितग्राही धीमी गति से कर रहे है। साथ ही यह भी बताया कि आवास प्लस में २७४२ मकान स्वीकृत हुए है जिनमें सेे १३६० हितग्राहियों के खाते में प्रथम किस्त की राशि आ चुकी है और इस पीएम आवास योजना के अंतर्गत लालबर्रा विकासखण्ड में १८०४१ मकान स्वीकृत हुए है जिसमें १०२३५ मकानों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है एवं शेष मकानों का निर्माण कार्य जारी है।