गर्मी की शुरुआत होती ही जिले में आगजनी की घटना बढ़ गई है, बीते 1 सप्ताह के दौरान लालबर्रा से लेकर लामता और गांगुलपरा घाटी में जंगलों में लगी आग की वजह से वन विभाग की कार्यप्रणाली के साथ ही बेशकीमती वन संपदा संरक्षण पर कई सवाल उठ रहे हैं।
शनिवार को भी जिले के अलग-अलग वन परीक्षेत्रों में आगजनी की घटनाएं सामने आई जहां लामता वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सर्किल पंचेरा, मगरदर्रा, धापेवाडा ,बालाघाट का गांगुलपरा, बंजारी घाट,सोनवानी बिट सहित जिले के अन्य सर्किल बिट में भीषण आगजनी की घटनाएं देखी गई जहां देखते ही देखते आग की लपटों ने जंगल में लगे छोटे-बड़े पेड़ पौधों, औषधि वृक्षों को अपनी चपेट में लेकर राख कर दिया।
हालांकि स्थानीय प्रशासन द्वारा आग पर काबू पाने के प्रयास किए गए लेकिन संसाधनों की कमी होने के चलते काफी देर तक इस आग पर काबू नहीं पाया जा।
वही मामले के संदर्भ में की गई चर्चा के दौरान डीएफओ गजेंद्र कुमार वरकडे ने बताया कि जैसे-जैसे उन्हें जंगलों में आग लगने की सूचना मिलती है वैसे-वैसे कर्मचारियों द्वारा आग पर काबू पाने का प्रयास किया जाता है उन्होंने स्वीकार किया कि उनके पास आग बुझाने के लिए संसाधनों की कमी है