पेशिपिक मिनरल्स लौगुर खदान को किया जाए सीज

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पेशिपिक मिनरल्स बालाघाट की लौगुर खदान में पिछले दिनों हुई मजदूर की मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है।जहां हुए हादसे पर अपनी आपत्ति जताते हुए वनवासी विकास परिषद ने कलेक्टर और एसपी कार्यालय में एक ज्ञापन सौंपकर पेशिपिक मिनरल्स लौगुर खदान कंपनी पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर, खदान को सीज किए जाने की मांग की है। जिन्होंने पेशिपिक मिनरल्स लौगुर खदान में सुरक्षा नियमों का पालन न करने का आरोप लगाते हुए, मजदूर की मौत की उच्च स्तरीय जांच कराने, मृतक के परिजनों को 50 लाख रुपए का मुआवजा देने, खदान अनुमति तत्काल निरस्त करने औऱ कंपनी के संसाधन उपकरण को सीज किए जाने की मांग की है। जहां उन्होंने उक्त मांगे जल्द से जल्द पूरी न होने पर आंदोलन किए जाने की चेतावनी दी है।

मांग पूरी न होने पर करेंगे आंदोलन- लखन मरावी
उक्त मांग को लेकर सौंपे गए ज्ञापन में वनवासी विकास परिषद महाकौशल रक्षा प्रमुख लखन मरावी ने बताया कि पेशिपिक मिनरल्स बालाघाट की ग्राम कटेझरी लौगुर में खदान है जिसमें जगदिश पिता तिरथ सरोते उम्र 35 वर्ष निवासी चिखलाझोड़ी का मजदुर करता था। बीते दिनों नीचे खदान से ऊपर चढ़ते समय गिरने से उसकी मृत्यु हो गई है। पेशिपिक मिनरल्स बालाघाट कम्पनी सूरक्षा नियमों का पालन नही करती, खदान में निचे जमीन के अंदर जाने के लिये लिफ्ट का उपयोग नही किया जाता है।केवल एक रस्से पर लकड़ी का झुला बांधकर मजदूरों को 150 फिट जमीन के उपर निचे किया जाता है।जिस कारण आदिवासी जगदिश सरोतें कि झूले से गिरने से मौत हो गई है। जिसकी संपुर्ण जिम्मेदारी खदान कम्पनी की बनती है। खदान द्वारा सूरक्षा के नियमों का पालन नही करने कारण यह दर्दनाक मृत्यु हुई है।इसलिए कम्पनी पर हत्या का मुकदमा दायर कर जगदिश सरोतें के परिवार को 50 लाख का मुआवजा प्रदान किया जाना चाहिये।उन्होंने बताया कि हमे सूत्रों से ज्ञात हुआ है पेशिपिक मिनरल्स बालाघाट कम्पनी लगातार कई वर्षो से क्षेत्र में कार्यरत है लगातार मजदुरों के जान के साथ खिलवाड़ कर रही है। खनन विभाग अधिकारीयों के साथ मिली भगत करके लगातार शोषण किया जा रहा है। खनन सूरक्षा निति का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। जिसकी जाँच करवाना अत्यंत आवश्यक है।हमारी मांग है कि हादसे की जॉच के लिए उच्च स्तरीय जाँच दल का गठन किया जायें और वर्तमान जॉच रिपोर्ट की एक छायाप्रति वनवासी विकास परिषद बालाघाट को उपलब्ध करवाई जायें। जॉच पूर्ण होने तक तत्काल प्रभाव से खदान निरस्त कर उपलब्ध कम्पनी के संसाधन उपकरण को सील कर प्रशासन अपने अधिकार क्षेत्र में लें।और मामले में उचित कानुनी कार्यवाही कर दोषियों को दण्डित किया जाए।यदि ऐसा नही किया जाता और मांग पूरी नही की जाती तो जनजातीय समाज को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।हम इसके लिए आंदोलन करेंगे।

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