प्रदेश में स्क्रब टाइफस बीमारी के 32 मरीज मिले

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बीते दो महीने में प्रदेश के चार जिलों में स्क्रब टाइफस बीमारी के 32 मरीज मिल चुके हैं। इन जिलों में मंदसौर, जबलपुर, सतना और बैतूल जिला शामिल हैं। जांच उपरांत एम्स भोपाल में इस बीमारी की पुष्टि हो चुकी है। यह अच्छी बात है किअभी तक किसी मरीज की मौत नहीं हुई है। सबसे ज्यादा 13 मरीज मंदसौर में मिले हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के उप संचालक डा. शैलेश साकल्ले ने बताया किप्रदेश के सभी जिलों को सतर्क कर दिया गया है। सतना, मंदसौर और जबलपुर में ज्यादा मरीज मिल रहे हैं, इसलिए इन जिलों में उन सभी मरीजों के सैंपल स्क्रब टाइफस की जांच के लिए भेजने को कहा गया है, जिन्हें पांच दिन या इससे ज्यादा दिन से बुखार है। पिछले साल भी इस बीमारी के प्रदेश में करीब 20 मरीज मिले थे, जिन्हें स्क्रब टाइफस होने की पुष्टि हुई थी । जबलपुर में छह साल के एक बच्चे की मौत भी हो गई थी। रिकेटसिया नामक जीवाणु से यह बीमारी फैलती है। चूहों में पाए जाने वाले पिस्सुओं (लार्वा माइट्स) में यह जीवाणु होते हैं। पिस्सुओं के काटने पर जीवाणु मनुष्य के शरीर में फैलते हैं। यह बीमारी होने का खतरा उन लोगों का रहता है जो जमीन पर लेटते हैं या फिर खेतों में काम करते हैं। पिस्सू शरीर में जिस जगह पर काटते हैं वहां सुराख जैसा दिखता है। आसपास का हिस्सा लाल दिखने लगता है। पपड़ी बन जाती है। पिस्सू के काटने के करीब 10 दिन बाद लक्षण दिखने लगते हैं। संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार के साथ सिरदर्द और बदन दर्द होता है। शरीर में चकत्ते दिखाई देते हैं। बीमारी बढ़ने पर महत्वपूर्ण अंग फेल होने का खतरा भी रहता है। शरीर के भीतरी अंगों में खून का रिसाव भी होने लगता है। उसका कोई विशेष इलाज नहीं है। एंटीबायोटिक दवा दी जाती है। बीमारी से बचने जमीन में नहीं लेटें। खेतों में काम करने जाएं तो फुल कपड़े पहनें। कपड़े साफ-सुथरे होने चाहिए।

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