प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ऐच्छिक होने के बाद व्यवस्था में किया गया परिवर्तन

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भोपाल । मध्य प्रदेश की प्राथमिक साख सहकारी समितियों के माध्यम से फसल ऋण लेने वाले किसानों से यह पूछा जाएगा कि उन्हें फसल बीमा कराना है या नहीं। किसान चाहेगा तभी उसकी फसल का बीमा करते हुए खाते से प्रीमियम की राशि काटी जाएगी। यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। खरीफ फसलों के लिए फसल बीमा कराने की अंतिम तारीख से एक सप्ताह पहले तक किसान को समितियों को बताना होगा कि उन्हें बीमा कराना है या नहीं।

कृषि और सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में फसलों का बीमा कराना किसानों के लिए पूरी तरह ऐच्छिक किया गया है। अभी प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से अल्‍पावधि कृषि ऋण लेने वाले किसानों का बीमा अनिवार्य रूप से किया जाता था और उनके खाते से सीधे प्रीमियम की राशि काट ली जाती थी।

इसको लेकर किसान आपत्ति भी उठाते थे कि उन्हें लाभ ही नहीं मिल पाता है। दरअसल, फसलों को प्राकृतिक आपदा से नुकसान होने की सूरत में आकलन करने का फार्मूला तय है। इसके आधार पर गांव के किसी एक खेत के निश्चित भाग की फसल को काटकर उत्पादन लिया जाता है। उसका पांच साल के औसत उत्पादन से मिलान करके देखा जाता है और फिर क्षति के आकलन के अनुसार मुआवजे के प्रकरण बनते हैं।

सहकारी बैंक अनिवार्य रूप से फसल बीमा इसलिए भी करते थे ताकि उनके द्वारा किसानों को दी गई राशि सुरक्षित रहे। फसल को नुकसान होने पर जो बीमा राशि किसानों को मिलती थी, उससे सबसे पहले बैंक अपनी ऋण राशि का समायोजन करते थे और यदि राशि बचती थी तो वो ही किसान के हाथ लगती थी। अपर मुख्य सचिव कृषि एवं सहकारिता अजीत केसरी का कहना है कि किसानों को यह सुविधा दी जा रही है कि वे बीमा होने की अंतिम तारीख से एक सप्ताह पहले बता दें कि उन्हें बीमा कराना है या नहीं।

यदि वे जानकारी नहीं देते हैं तो यह माना जाएगा कि वे हमेशा की तरह बीमा कराना चाहते हैं। 44 लाख किसानों को 8,891 करोड़ रुपये का मिला बीमा प्रदेश में वर्ष 2018 और वर्ष 2019 की दोनों फसलों (खरीफ और रबी) को नुकसान होने पर 44 लाख से ज्यादा किसानों को बीमा का लाभ दिलाया गया। किसानों के खातों में 8,891 करोड़ रुपये की राशि बीमा कंपनियों से जमा कराई गई। मध्य प्रदेश में दोनों फसल सीजन में लगभग 45 लाख किसान फसल बीमा कराते हैं।

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