प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से हम किस तरह शरीर और मन को स्वस्थ रख सकते हैं इसी बात को ध्यान में रखते हुए आर्ट आफ लीविंग द्वारा 10 दिनी आरोग्य ध्यान यात्रा आयोजित की जा रही है। इंटरनेट मीडिया के जरिए हो रहे इस आयोजन में श्रीश्री रविशंकर मार्गदर्शन दे रहे हैं। इस आयोजन के तहत श्रीश्री रविशंकर ने बताया कि किस प्रकार हमारी भावना हमारे मन पर असर करती है।
आयोजन के तहत बताया जा रहा है कि जब हम सकारात्मक सोचते हैं और हम प्रसन्नचित्त रहते हैं तो ऊर्जा का संचार होता है। जब ऊर्जा में वृद्धि होती है तो शरीर स्वस्थ रहता है, साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जब हम नकारात्मक सोचते हैं तब हमारे शरीर की ऊर्जा का नाश होता है, मन दुखी होता है एवं शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसका परिणाम यह होता है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता का ह्रास होता है। हम अपनी सांसों एवं ध्यान के द्वारा मन को अपने नियंत्रण में एवं शांत कर सकते हैं। इस तरह हम स्वस्थ रह सकते हैं।
इसके अलावा उन्होंने काल, देश और श्वास पर ध्यान करवाया। उन्होंने कहा कि शरीर वस्त्र की तरह है जिसे काल में पिरोया गया है। पंचतत्व के वस्त्र से हमारा शरीर बना हुआ है। हम सांसों के द्वारा मन को शांत कर जन्म व मृत्यु के इस चक्र को समझ सकते हैं। द आर्ट ऑफ लिविंग इंदौर के योग प्रशिक्षक मनोज राव ने बताया कि शहर में कई लोग इंटरनेट मीडिया के जरिये चल रहे इस आयोजन में भाग ले रहे हैं।