गर्मी के मौसम में जहॉ एक तरफ श्वानों के कारण रैबीज रोग बढ़ रहा है वही दूसरी तरफ क्षेत्र के सबसे बड़े सिविल अस्पताल के भीतरी परिसर में श्वान आराम भरमाते दिखाई दे रहे है। गर्मी का मौसम ऐसा होता है जहॉ पर कोई भी रोग बड़ी तेजी से फैलता है। ऐसे में श्वानो का अस्पताल परिसर के भीतर दिखाई देना एक गंभीर हादसे को जन्म दे रहा है। जिसके ऊपर स्वास्थ विभाग के द्वारा गंभीरता से ध्यान नही दिया जा रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि स्वास्थ प्रबंधन किसी बड़े परिणाम की राह तक रहा है। जागरूक नागरिकों ने प्रबंधन से श्वान मुक्त अस्पताल करने की मांग की है।
अस्पताल के सभी कक्ष के सामने आराम फरमा रहे श्वान
यहां यह बताना लाजमी है कि स्थानीय सिविल अस्पताल के प्रसूति वार्ड व जनरल वार्ड सहित ऑपरेशन कक्ष के सामने आवारा श्वानों का जमावड़ा रहता है। रैबीज रोग के चलते प्रसूति वार्ड से निकले नौनिहालों, रोगी, व पदस्थ स्टॉफ को काफी खतरा हो सकता है। मगर अस्पताल प्रबंधन इस और कोई ध्यान नही दे रहा है। जबकि डिलेवरी कक्ष एवं ऑपरेशन कक्ष, जनरल वार्ड के सामने श्वान ने अपना डेरा डालकर रखे है। ऐेसे में प्रसूता एवं नवजात उक्त परिसर में भ्रमण करते रहते है ऐसे में गंध के कारण खतरा बना हुआ है कि किसी भी समय अवारा श्वान इन पर झपट सकते है और इस प्रकार की घटना पूर्व में घटित हो चुकी है।
रोगियों को काटने भी दौड़ते है श्वान
गौरतलब है कि अपना उपचार कराने आने वाले लोगों के पीछे भी कई मर्तबा यह श्वान काटने दौड़ते है। जिससे भय का वातावरण बना रहता है। ४ माह पूर्व ऐसे ही आवारा श्वानों ने वार्ड नं.२ में आतंक मचाया था और करीब आधा दर्जन बच्चों व बड़ो को काटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया था। जिसमें घायल २ बच्चों का उपचार गोंदिया में कराया गया था। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन को इस और ध्यान देते हुये नगर पालिका की सहायता से यह श्वानों को अस्पताल परिसर से पकड़कर अन्यत्र स्थान पर छोडऩे की कार्यवाही करनी चाहिये वरना किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
श्वान के चाटने से भी फैलता है रैबीज
गौरतलब है कि श्वान रैबीज का एक प्रमुख कैरियर है। श्वान में रोग के लक्षण प्रकट होने से पांच दिन पहले ही लार में वाइरस मौजूद रहते हैं। रैबीज अधिकतर गर्मियों के दिनों में होता है क्योंकि इस दौरान प्रजनन काल होता है तथा आहार, पानी की तलाश में जंगली पशुओं की गतिविधियां काफ ी बढ़ जाती हैं। ये जानवर श्वान के सम्पर्क में अधिक आते हैं। रैबीज एक जानलेवा वाइरल संक्रामक रोग है जो रोगी श्वान द्वारा स्वस्थ श्वान या मनुष्य को काटने या चाटने से फैलता है। इसमें रोगी के व्यवहार में बदलाव, अधिक उत्तेजना, पागलपन, पैरालाइसिस व मौत हो जाती है। यह एक जूनोटिक रोग है जो पशु से मनुष्य व मनुष्य से पशु में फैलता है।
इनका कहना है –
दूरभाष पर बताया कि अस्पताल स्टॉफ के द्वारा उक्त मामले को मेरे संज्ञान में लाया गया है। बीते २-४ दिनों से श्वान अस्पताल में नजर आ रहे है जो शायद ठंडा स्थान देखकर आ रहे है। जिसके लिये नगर पालिका को पत्र लिखकर आवारा श्वान के खिलाफ कार्यवाही करने के लिये कहा जायेगा। वही स्टॉफ के कर्मचारियों को भी निर्देशित किया गया है कि अस्पताल परिसर में उपस्थित आवारा श्वान को खदेड़े।