हरदा निवासी विक्रम और पप्पी को इंतजार था, उनके कोई संतान हो, जिससे जीवन सुखद हो जाए। अवसर भी आया। गोद खुशियों से भर गई, लेकिन जब पता चला कि नवजात बेटी के दोनों पैर उल्टे हैं, तो जैसे मां-बाप के कलेजे पर पत्थर सा गिर गया। ऐसा नहीं है कि इस बीमारी का इलाज ना हो।
इलाज है और वह भी राजधानी में है, लेकिन इस श्रमिक परिवार के लिए यह किसी त्रासदी से भरा नहीं है। उसे नवजात का प्लास्टर बदलवाने के लिए हर सप्ताह 250 किलोमीटर दूर इलाज के लिए भोपाल लेकर आना होगा। परिवार ने गुहार लगाई है कि सरकार बेटी के मुफ्त इलाज की व्यवस्था करा दे।
हरदा के ग्राम झांझरी के रहने वाले विक्रम राजपूत की शादी पांच साल पहले पप्पी से हुई थी। शादी के बाद बच्चा नहीं हुआ। 5 साल बाद काफी मान-मनौव्वल के बाद बच्चा हुआ। घर में लंबे इंतजार के बाद सोमवार को अस्पताल में पहली बेटी ने जन्म लिया। इसके दोनों पैर पंजे के पास से उल्टे हैं। हरदा के डॉक्टरों ने बेटी के पैर के इलाज के लिए भोपाल के हमीदिया अस्पताल रेफर कर दिया। बुधवार को विक्रम अपनी पत्नी, मां के साथ बेटी को लेकर हमीदिया आया। यहां पीडियाट्रिक विभाग के आईसीयू में बच्ची को भर्ती किया गया है। उसका वजन भी कम है।
विक्रम ने गुरुवार को बच्ची को ऑर्थोपेडिक विभाग के डॉक्टरों को दिखाया गया। विक्रम ने बताया कि उन्होंने बच्ची के पैर पर प्लास्टर चढ़ाने को कहा है। शुक्रवार को डॉक्टर बच्ची को दोबारा देखेंगे। अभी दो दिन से जांच की जा रही है। ब्लड से लेकर अन्य अंगों की जांच की जा रही है। अब तक बच्ची के पैर का इलाज शुरू नहीं हुआ है। अभी उसकी सोनोग्राफी भी होना है। ऑर्थोपेडिक विभाग डॉक्टरों ने अब शुक्रवार को बुलाया है।
डॉक्टरों ने कहा कि पैर में प्लास्टर लगाया जाएगा। इसके लिए सप्ताह में एक बार आना होगा। कब तक प्लास्टर लगाया जाएगा, यह पैर की स्थिति को देखकर तय करने की बात कही है। विक्रम ने कहा कि उसका घर भोपाल से 250 किमी दूर है। वह मजदूरी करता है। अब हर सप्ताह बच्ची को लेकर आना मुश्किल होगा। अब यह चिंता शांति सता रही है। सरकार से मांग है कि मेरी बेटी को समय पर मुफ्त इलाज उपलब्ध करा दें।
हमीदिया अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभाग के एचओडी डॉक्टर संजीव गौर ने बताया कि बच्ची को ऐसे बच्चों के लिए हमीदिया में क्लीनिक होती है। यहां बच्ची को देखा जाएगा कि उसकी क्या स्थिति है। इसके बाद शुरुआत में मालिश फिर प्लास्टर चढ़ा कर देखा जाता है। इससे भी पैर में कोई इम्प्रूवमेंट नहीं होने पर फिर ऑपरेशन किया जाता है।
डॉक्टरों का कहना है कि यह कंजेनाइटल बीमारी होती है। यह अनुवांशिक होती बीमारी है। साथ ही, दूसरी थ्योरी यह भी है कि गर्भ में जगह कम होने और बच्चे का साइज ज्यादा होने से भी पैर पीछे मुड़ जाते हैं।