फर्जी आंकड़ों की बुनियाद पर खड़ी मध्य प्रदेश की बिजली व्यवस्था

0

मध्य प्रदेश में बिजली उत्पादन के दावों की बुनियाद फर्जी आंकड़ों पर खड़ी है। सरकारी तंत्र व्यवस्था को पटरी पर लाने में नाकाम है। मध्य प्रदेश में 8000 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता है लेकिन हाइड्रल, थर्मल और सौर ऊर्जा पावर प्लांट से 2427 मेगावाट ही बिजली उत्पादन हो रहा है। सेंट्रल सेक्टर से तो बिजली मिल रही है, लेकिन निजी क्षेत्र से आपूर्ति नहीं हो रही है। बीते कुछ दिनों में अधिकतम 1750 मेगावाट की अघोषित कटौती की गई। कोल इंडिया को 1150 करोड़ रुपये की देनदारी होने से पर्याप्त मात्रा में कोयला नहीं मिल रहा है। बिजली के मामले में मध्य प्रदेश की बनाई गई नीतियों का सही क्रियान्वयन नहीं होने की कीमत आमजन अंधेरे में रहकर भुगत रहा है।

मध्य प्रदेश में बिजली उत्पादन की बदहाल स्थिति

– सतपुड़ा ताप विद्युत संयंत्र सारणी की उत्पादन क्षमता 1330 मेगावाट है।

बदहाली- कुल छह यूनिट में से पांच बंद। उत्पादन हो रहा मात्र 253 मेगावाट।

– संजय गांधी बीरसिंहपुर की उत्पादन क्षमता 1340 मेगावाट है।

बदहाली- पांच यूनिट में से दो बंद। उत्पादन हो रहा मात्र 457 मेगावाट

– अमरकंटक चचाई की उत्पादन क्षमता 210 मेगावाट की है।

बदहाली- 207 मेगावाट का हो रहा उत्पादन।

– सिंगाजी (खंडवा) की उत्पादन क्षमता 2520 मेगावाट की है।

बदहाली- चार में से दो यूनिट बंद। 1054 मेगावाट का हो रहा उत्पादन।

उत्पादन क्षमता और कमी

5400 मेगावाट क्षमता है थर्मल (ताप विद्युत) से

16 यूनिट में से 09 बंद

1983 मेगावाट कुल उत्पादन

2435 मेगावाट क्षमता हाइड्रल (जल विद्युत) से

245 मेगावाट हो रहा उत्पादन

259 मेगावाट उत्पादन हो रहा रीवा अल्ट्रा सोलर प्लांट से

10473 मेगावाट रही बिजली की मांग (सोमवार)

सेंट्रल सेक्टर से इतनी ले रहे बिजली

सेक्टर – मेगावाट

एनटीपीसी कोरबा – 514

एनटीपीसी विंध्याचल – 1165

बिलासपुर सीपत – 478

गाडरवारा – 438

खरगोन – 323

निजी क्षेत्र से बिजली की आपूर्ति

सासन रिलायंस – 1106

जेपी निगरी – 453

मोजर बेयर – 393

झाबुआ – 189

अन्य स्रोत से करीब 1500 मेगावाट मिल रही बिजली।

इतनी मिली बिजली – सोमवार शाम तक प्रदेश को 9046 मेगावाट बिजली मिली।

इतनी हुई कटौती – रविवार को 1773 और शनिवार को 1755 मेगावाट की अधिकतम अघोषित बिजली कटौती की गई।

बिना बिजली लिए जनता की जेब से जा रही राशि

मध्य प्रदेश में बिजली के मामले में एक बड़ा बोझ पावर पर्चेस एग्रीमेंट (पीपीए) है। इस एग्रीमेंट के तहत सरकार ने निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियों से अनुबंध कर रखा है कि उनसे निश्चित मेगावाट बिजली खरीदी जाएगी। निश्चित मात्रा में बिजली नहीं खरीदने पर निश्चित राशि बिजली कंपनियों को दी जाएगी। यह करार 21 हजार मेगावाट बिजली के लिए वर्ष 2025 तक का है। इस प्रकार मप्र के पास निजी क्षेत्र से 21 हजार, खुद के उत्पादन से नौ हजार मेगावाट बिजली की क्षमता है, लेकिन प्रदेश बिजली संकट से जूझ रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here