करीब 8 वर्ष पूर्व नगर के बस स्टैंड को संवारने की बनाई गई योजना फाइलों में सिमट कर रह गई है। सालाना लाखों रुपए का राजस्व मिलने के बाद भी प्रशासन के जिम्मेदारो का इस ओर कोई ध्यान नही है। जिससे यात्रियों को हर मोड़ पर परेशानियों से जूझना पड़ रहा है।जहा प्रशासन ने इसको सवारने को लेकर किसी प्रकार के कोई कारगर कदम नहीं उठाए है।वही प्रशासन का यह कि अव्यवथाओ पर कोई ध्यान नही है। हालात कुछ इस तरह हो गए हैं कि बस स्टैंड में पहुंचने वाले यात्री सुविधाओं को मोहताज होकर परेशान हो रहे हैं तो वही अतिक्रमण को हटाने की जगह नगर पालिका अतिक्रमण को इधर-उधर कर जमकर वाहवाही लूट रही है। जिसका एक नजारा मंगलवार को नगर के बस स्टैंड में देखने को मिला जहां नगर पालिका अधिकारियों कर्मचारियों ने बस स्टैंड के भीतर लगने वाले कुछ फल ठेलो को हटाकर इधर से उधर किया। कुछ फल विक्रेताओं को पीछे हटाकर कर यातायात को व्यवस्थित किए जाने का दावा भी कर दिया। कुल मिलाकर कहा जाए तो ना तो नगरपलिका द्वारा बस स्टैंड का अतिक्रमण हटाया गया और ना ही मॉडल बस स्टैंड बनाए जाने को लेकर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही की गई। बस कुछ दुकानदारों को इधर से उधर आगे पीछे कर खानापूर्ति करने का काम किया गया।
सपना बनकर रह गया मॉडल बस स्टैंड
बस स्टैंड को मॉडल बस स्टैंड का स्वरूप प्रदान करने में नपा प्रशासन नाकाम ही साबित हो रहा है, जबकि पूर्व वर्षो में नपा द्वारा कहा गया था कि बस स्टैंड को महानगरों की तर्ज पर बनाया जाएगा लेकिन यह कार्य भी फाइलों में ही सिमटकर रह गया है। बस स्टैंड परसिर में गंदगी पसरी नजर आती है जिसके चलते सफाई व्यवस्था लोगों के बीच उजागर हो रही।वही बात अगर यातायात विभाग और आरटीओ कार्यालय के जिम्मेदार अधिकारियों की करें तो उनका भी यहाँ की अव्यवस्थाओं पर कोई ध्यान नहीं है ।यातायात का अमला सायरन बजाते हुए बस स्टैंड का राउंड मार कर अपनी फॉर्मेलिटी निभा रहा है तो वही आरटीओ के अधिकारी दो-तीन महीनों तक बस स्टैंड का दौरा नहीं करते, वही नगर पालिका द्वारा एक बार में व्यवस्थित तरीके से पूर्ण अतिक्रमण नहीं हटाया जा रहा है शायद यही वजह है कि नगर के बस स्टैंड को मॉडल बनाने का सपना अब तक सपना ही रह गया है जिसे हकीकत में बदलने की कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं
मॉडल बस स्टैंड बनाने नहीं किया जा रहा कोई कार्य
बस स्टैंड को स्वस्थ सुंदर व सर्व सुविधा युक्त बनाने के लिए नपा प्रबन्धन द्वारा कोई खास कार्य नहीं किया जा रहा है जहां नगर पालिका बस स्टैंड से अतिक्रमण हटाने की जगह फल विक्रेताओं को इधर से उधर आगे पीछे कर स्वयं अपनी पीठ थपथपा रही है। जबकि पूर्व कार्य योजना के अनुरूप बस स्टैंड को मॉडल बस स्टैंड बनाने के लिए अब तक कोई कार्य नहीं किया गया है। आपको बताएं कि इसके पूर्व बस स्टैंड के भीतर बसों के अलावा किसी भी वाहन की एंट्री को बैन करने, बस स्टैंड को बाउंड्री वॉल से घेरने,फल विक्रेताओं को बस स्टैंड से हटाने, अति अतिक्रमण तोड़कर बस स्टैंड को बढ़ाने, बस स्टैंड के बाहर दो वाहन स्टैंड बनाने, पुराने यात्री प्रतीक्षालय को तोड़ का नया प्रतीक्षालय बनाने, नए सुलभ शौचालय बनाने, बस स्टैंड के भीतर केवल 2 मार्गों से ही बसों का आवागमन सुनिश्चित करने, ,यात्री प्रतीक्षालय के पास से बस स्टैंड के भीतर जाने के लिए नया रास्ता निकालने आदि बिंदुओं पर कार्य कर मेट्रो सिटी की तर्ज पर बालाघाट के बस स्टैंड को मॉडल बस स्टैंड बनाए जाने की योजना बनाई गई थी ।जहां इस योजना के अनुरूप आज तक नगर पालिका एक भी कार्य नहीं कर पाई है। कुल मिलाकर कहा जाए तो अब तक शहर के बस स्टैंड को मॉडल बस स्टैंड बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है। मतलब साफ है कि नगरपालिका केवल और केवल बस स्टैंड से फल विक्रेताओं को आगे पीछे कर नगर की जनता को मॉडल बस स्टैंड का सपना दिखा रही है। जबकि बस स्टैंड को मॉडल बनाने के लिए उनके द्वारा कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं
बस एजेंटों ने की बस स्टैंड का कायाकल्प किए जाने की मांग
उधर बस स्टैंड मे रात दिन सवारी गाड़ियां भरने वाले बस एजेंटों, कंडक्टर, ड्राइवर आदि में बस स्टैंड का कायाकल्प किए जाने की मांग की है। जिन्होंने बस स्टैंड में पेयजल यात्री प्रतीक्षालय, बसों को खड़ा करने के लिए पर्याप्त सुविधाएं, और यात्रियों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं दिए जाने की बात कहते हुए, जल्द से जल्द बालाघाट बस स्टैंड को मॉडल बस स्टैंड बनाए जाने की बात कही है मांग की है
उधर मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान अतिक्रमण को व्यवस्थित करने बस स्टैंड पहुंचे नगर पालिका अधीक्षक बीएल लिल्हारे ने बताया कि फल विक्रेताओं को इधर से उधर कर आवागमन की व्यवस्था बनाई जा रही है ।उन्होंने बताया कि मॉडल बस स्टैंड बनाने का प्रयास नगर पालिका द्वारा किया जा रहा है । लेकिन क्या प्रयास किया जा रहा है इसकी जानकारी उन्होंने नहीं दी