राजधानी सहित प्रदेश के अधिकांश जिलाें में रूक-रूककर बौछारें पड़ने का सिलसिला जारी है। मौसम विज्ञानियाें के मुताबिक उत्तर-पश्चिम मध्यप्रदेश पर बना गहरा कम दबाव का क्षेत्र कमजाेर पड़ गया है। वर्तमान में यह सिस्टम कम दबाव के क्षेत्र में बदलकर उत्तर-पश्चिमी मध्यप्रदेश और उससे लगे पूर्वी राजस्थान पर सक्रिय है। उधर बंगाल की खाड़ी में एक और कम दबाव का क्षेत्र बन गया है। इसके प्रभाव से रविवार से एक बार फिर से बारिश की गतिविधियाें में तेजी आने लगेगी। इसके अतिरिक्त 25 सितंबर काे भी बंगाल की खाड़ी में एक नया कम दबाव का क्षेत्र बनने जा रहा है। उसके असर से सितंबर माह के अंत तक वर्षा का सिलसिला बना रहने की संभावना है।
मौसम विज्ञान केंद्र के मौसम विज्ञानी पीके साहा ने बताया कि पिछले 24 घंटाें के दौरान शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे तक शाजापुर में 66, गुना में 40.2, भाेपाल में 26.2, मंडला में 26, रायसेन में 24.6, इंदौर में 17.4, सागर में 16.8, उज्जैन में 16, दतिया में 11.8, ग्वालियर में 11.3, श्यौपुरकला में आठ, रतलाम में पांच, दमाेह में 4.8, सतना में 4.1, रीवा में 3.4, नौगांव में 3.4, खरगाेन में 3.2, उमरिया में 2.4, टीकमगढ़ में दाे, जबलपुर में 1.8, सीधी में1.4, खजुराहाे में 1.4, पचमढ़ी में एक, धार में 0.3 मिलीमीटर बारिश हुई।
अरब सागर-बंगाल की खाड़ी से लगातार मिल रही नमी
मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि इस बार भले ही जुलाई-अगस्त माह में राजधानी सहित प्रदेश में अपेक्षित बारिश नहीं हुई, लेकिन सितंबर माह की शुरूआत से ही बौछारें पड़ने का सिलसिला जारी है। इससे सीजन का बारिश का औसत काेटा हाेने की उम्मीद बढ़ गई है। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से लगातार मिल रही नमी से मानसून सक्रिय बना हुआ है।
वर्तमान में बने चार सिस्टम
एक कम दबाव का क्षेत्र उत्तर-पश्चिमी मध्यप्रदेश और उससे लगे पूर्वी राजस्थान पर सक्रिय है। मानसून ट्रफ बीकानेर से कम दबाव के क्षेत्र से हाेकर सतना हाेकर बंगाल की खाड़ी तक बना हुआ है। एक अन्य ट्रफ अरब सागर से गुजरात, राजस्थान से कम दबाव के क्षेत्र तक बना है। बंगाल की खाड़ी में भी एक कम दबाव का क्षेत्र मौजूद है। बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम से रविवार से एक बार फिर मप्र में बारिश की गतिविधियाें में तेजी आने लगेगी। साेमवार से पूरे प्रदेश में तेज बौछारें पड़ने का सिलसिला शुरू हाे सकता है।