बंद सीसीटीव्ही कैमरे के मेंटेनेंस का बिल 5 लाख ?

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(उमेश बागरेचा)

बालाघाट(पद्मेश न्यूज)। शासकीय जटाशंकर त्रिवेदी महाविद्यालय बालाघाट में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है । कतिपय प्रोफेसरो की खेमेबंदी ,आर्थिक स्वार्थ तथा अनावश्यक राजनैतिक संरक्षण के चलते यहां की व्यवस्थाएं चरमराई हुई है । कॉलेज में राजनैतिक हस्तक्षेप के चलते जहां कतिपय प्रोफेसरों की बल्ले बल्ले रहती है तो कुछ ऐसे प्रोफेसरों की जो महाविद्यालय के प्रति अपनी पूर्ण निष्ठा से कार्य करते हैं को प्रताडि़त करने की बाते भी सामने आ रही है, तो दूसरी ओर महाविद्यालय में निर्माण, मेंटेनेंस आदि मदो की राशि के बंदरबाट में राजनैतिक संरक्षण प्राप्त प्रोफेसरों के लिप्त होने की बात सामने आ रही है। मिली जानकारी के अनुसार लाखों की राशि व्यय कर कुछ वर्ष पूर्व लगाए गए सी सी टी वी कैमरे गत लगभग एक वर्ष से बंद पड़े है । साथ ही सीसीटीवी कैमरों के मेंटेनेंस के लिए जो बिल बनवाए जा रहे है उसकी राशि के बंदरबाट को लेकर ठेकेदार एवं महाविद्यालय के तथाकथित बॉटनी के प्रोफेसर जिनके पास बिल पहुंचते हैं के बीच बिल की राशि एवं भुगतान को लेकर विवाद चल रहा है । यह विवाद स्थानीय विधायक गौरीशंकर बिसेन के समक्ष भी उस समय आया था जब वे किसी कार्यक्रम के सिलसिले में महाविद्यालय परिसर में आए थे, तब उनके साथ आए भाजपा के स्थानीय एक पदाधिकारी ने इस मुद्दे को उनके संज्ञान में लाया था । सूत्रों के अनुसार सीसीटीवी मेंटेनेंस के बिल की राशि 5 से 9 लाख के बीच झूल रही है । जब विधायक श्री बिसेन को उक्त राशि से अवगत कराया गया तो राशि को लेकर उन्हें भी आश्चर्य हुआ कि सीसीटीवी के मेंटेनेंस का कार्य के बिल लाखो वो भी 5 से 9 लाख तक कैसे हो सकता है ,उन्होंने कहा भी कि राशि हजारों में हो सकती है लाखों कैसे ? अब यहां 5 से 9 लाख रुपयों की जो बात सामने आ रही है ,उसके बारे में चर्चा है कि ठेकेदार का 5 लाख रुपयों का बिल बकाया है ,लेकिन संबंधित बांटनी विषय के प्रोफेसर जिनके पास बिल जाता है उनका ठेकेदार को कहना है कि बिल की राशि 5 लाख से बढ़ाकर 9 लाख करो । बताया जाता है कि संबंधित उक्त प्रोफेसर बिलों को प्राचार्य तक पहुंचने ही नहीं देते है । श्री बिसेन ने जब तत्कालीन प्राचार्य से बिल के विषय मे पूछा तो उन्होंने (प्राचार्य ने) बिल उनके समक्ष ना आने की बात कही । ठेकेदार द्वारा कहा गया कि संबंधित प्रोफेसर द्वारा बिल की राशि का भुगतान करने के एवज में राशि की मांग की जाती है तथा बिल की राशि बढ़ाकर 9 लाख करने बोला जा रहा है । लेकिन विचारणीय बात यहां यह है कि सीसीटीवी के रख रखाव की राशि 5 लाख रुपया तक कैसे पहुंच सकती है, तथा पिछले लगभग एक वर्ष से जिले के इस महत्वपूर्ण एवं सबसे बड़े महाविद्यालय के सीसीटीवी कैमरे कैसे बंद रह सकते हंै यह अपने आप में जांच के विषय बन जाते हैं । इसी महाविद्यालय से जुड़ा एक और मामला इन दिनों चर्चा में है । गत 6 अगस्त को प्राचार्य प्रवीण श्रीवास्तव का तथा कॉमर्स के असिस्टेंट प्रोफेसर अरविंद तिवारी का स्थानांतरण हुआ । स्थानांतरण के बाद प्रवीण श्रीवास्तव को तो तत्काल रिलीव कर दिया गया लेकिन असि. प्रोफेसर अरविंद तिवारी को आज दिनांक तक रिलीव नहीं किया गया है। बताया जाता है कि उन्हे राजनैतिक संरक्षण के चलते रिलीव नही किया जा रहा है । इस महाविद्यालय में राजनैतिक दखलंदाजी इस कदर हावी है कि अच्छा कार्य कर रहे तत्कालीन प्राचार्य प्रवीण श्रीवास्तव इतने अधिक प्रताडि़त हो रहे थे कि उन्होंने छुट्टी लेकर घर में बैठना उचित समझा तथा इस बीच उन्होंने स्वयं यहां से अपना स्थानांतरण करवा लिया। शिक्षा के इस मंदिर को अपने निजी स्वार्थों के चलते राजनीति का अखाड़ा बनाने से जनप्रतिनिधियों को बचना चाहिए ।

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