बजट से उम्मीद: इस बार बजट में इंश्योरेंस पर घटना चाहिए टैक्स, डबल टैक्सेशन हो खत्म

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सरकार अगर आम बजट में टैक्स में रियायत दे तो इंश्योरेंस इंडस्ट्री के साथ आम लोगों को भी फायदा होगा। खासतौर से एन्युइटी पर डबल टैक्सेशन खत्म होना चाहिए। यह कहना है HDFC लाइफ इंश्योरेंस की सीईओ विभा पडलकर का। पेश हैं अखिलेश प्रताप सिंह के साथ पडलकर की खास बातचीत के मुख्य अंश:

सवाल – टर्म इंश्योरेंस को लेकर ऐसी राय है कि कंपनियां इसको पुश नहीं करतीं। आपका क्या कहना है?
इसको आंकड़ों में देखिए। दस साल पहले हमारे लिए और पूरे सेक्टर के लिए रिटेल लेवल पर टर्म प्लान की हिस्सेदारी 1% से भी कम थी। अभी यह 7-9% तक हो चुकी है। इसमें ग्रुप टर्म पॉलिसी भी जोड़ लें तो हिस्सेदारी 17-22% तक है। HDFC लाइफ की बात करें तो टर्म इंश्योरेंस के मामले में पिछले साल हमने अपनी ओवरऑल ग्रोथ की डबल रफ्तार हासिल की। टर्म इंश्योरेंस के मामले में 26% ग्रोथ रही। सम एश्योर्ड की ग्रोथ 52% थी। यह सब रिटेल का आंकड़ा है। ग्रुप टर्म इसके अलावा है। अभी हमारा प्रति व्यक्ति जीडीपी करीब 2500 डॉलर है। भारत दुनिया की 3 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा तो इसका असर दिखेगा। अवेयरनेस के साथ अफोर्डेबिलिटी भी बढ़ेगी।

सवाल – IRDAI ने लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी को मैच्योरिटी डेट से पहले सरेंडर करने पर सरेंडर वैल्यू से जुड़ा जो कदम उठाया है, उसके बारे में क्या राय है?
अभी सरेंडर वैल्यू के रेगुलेशन में यह हुआ है कि किसी वजह से कस्टमर को अगर पॉलिसी जारी नहीं रखनी हो तो हमें उन्हें ज्यादा पे करना होगा। रेगुलेटरी कंपल्शन के हिसाब से जो मिनिमम सरेंडर वैल्यू देनी होती थी, उससे अधिक हम पहले भी दे रहे थे। इरडा ने सही कदम उठाया है। इंश्योरेंस सेक्टर को अपने बिजनेस मॉडल पर नए सिरे से नजर डालनी होगी।

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