बाघ का सिर काटकर किया शिकार, वन्य प्राणी विशेषज्ञ ने की कार्रवाई की मांग; आरोपी फरार

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पिछले दिनों सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में बाघ का सिर काटकर शिकार की घटना को लेकर वन्य प्राणी विशेषज्ञ अजय दुबे ने अनुसंधान पर सवाल उठाए हैं। इस मामले में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष और सचिव को पत्र भेजकर उन्होंने कार्रवाई की मांग की है। बाघ का शिकार करने वाला शिकारी अभी फरार है।

दुबे ने पत्र में कहा कि भारत में सर्वाधिक बाघों की संख्या रखने वाले राज्य मप्र में बाघों की मौत विशेषकर शिकार की घटनाएं लगातार जारी हैं। प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघों के संरक्षण सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य के साथ एनटीसीए की है, इसलिए एसटीआर में बाघ शिकार के बाद उसके सिर को काटकर ले जाने की घटना की विधि अनुसार जांच की मांग की गई है।

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में चूरना रेंज की डबरादेव बीट में 26 जून को युवा बाघ मृत अवस्था में मिला, जिसका सिर काटकर शिकारी ले गए थे। दुर्भाग्य की बात है कि जिस चूरना रेंज में शिकार के बाद मृत बाघ मिला, उसी रेंज में बायसन को संजय डुबरी टाइगर रिजर्व भेजने के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट के अफसरों सहित मप्र वन्य प्राणी शाखा के बड़े अफसर शुभरंजन सेन, एफडी कृष्णमूर्ति और बड़ी संख्या में श्रमिक अफसर कर्मचारी कई दिनों से उपस्थित थे। अधिकारियों की नाक के नीचे हुए इस शिकार से बाघ संरक्षण पर कलंक लगा।

अंतरराष्ट्रीय तस्कर फरार

चूरना रेंज में साल 2015 में 2 बाघों और पैंगोलिन का शिकार करने वाला अंतरराष्ट्रीय तस्कर जे तवांग इस वक्त फरार है, लेकिन उसकी गतिविधियों पर सतपुड़ा प्रबंधन लापरवाह और निष्क्रिय था। हाल में ही वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो ने रेड अलर्ट जारी किया और इसमें सतपुड़ा टाइगर रिजर्व चिन्हित है। जांच का विषय है कि पेट्रोलिंग और गौर शिफ्टिंग प्रक्रिया के बावजूद शिकारी कोर एरिया चूरना में कैसे सफलता पूर्वक शिकार कर सिर काट कर ले गए। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की पेट्रोलिंग और गुप्तचर व्यवस्था की असफलता के साथ क्षेत्र संचालक कृष्णमूर्ति की लचर कार्यप्रणाली के कारण शिकारी सफल हुए। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के स्टाफ की पूछताछ के बाद एक आदिवासी युवा ने आत्महत्या कर ली, जिससे आदिवासी समुदाय में आक्रोश है, जो वन्य प्राणी प्रबंधन के लिए हानिकारक है।

कार्रवाई में देरी एसओपी का गंभीर उल्लंघन

दुबे ने आरोप लगाया कि एसटीआर के कुछ लोग वीआईपी पर्यटन और इको सेंसेटिव जोन में निर्माण कार्य में रुचि रखते हैं। एसटीआर में बाघों की सुरक्षा के लिए पुलिस के साथ समन्वय के लिए बनी टाइगर सेल भी सुप्तावस्था में है। 26 जून को बाघ का शव श्रमिक को मिला, लेकिन प्रकरण को 30 जून तक दबाया गया। इसका प्राथमिक सूचना प्रतिवेदन घटना के बाद एनटीसीए और वन्य मुख्यालय भोपाल को भेजा गया, जिसमें घटना स्थल पर महत्वपूर्ण सबूत प्रभावित हुए और संवदेनशील जानकारी पर कार्रवाई में देरी हुई, यह निर्धारित एसओपी का गंभीर उल्लंघन है। प्रकरण में क्षेत्र संचालक कृष्णमूर्ति ने प्रतिवेदन में बाघ का शिकार बताया, जबकि पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ जेएस चौहान ने बाघ की प्राकृतिक मौत के बाद सिर काटने की बात कही।

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