बाघ की दहशत से राजघाट टोली के ग्रामीण खौफजदा

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ग्राम पंचायत झालीवाड़ा में बाघ का मूवमेंट ६ दिसंबर को भी देखा गया। हालांकि इस दौरान उसने किसी हिंसक घटना को अंजाम नही दिया। लेकिन बाघ के इस मूवमेंट से ग्रामीण काफी दहशत में नजर आ रहे है। ग्रामीणों का कहना है की वन विभाग इस और विशेष रूप से ध्यान दे क्योंकि उसने दो मवेशियों की तो जान ले ली है। लेकिन रात्री के समय अगर वो किसी के घर के भीतर पहुॅच गया तो उनके प्राण पखेरू उड़ जायेंगे। बीती ५ दिसंबर की रात्री में वन अमले ने जरूर नाईट गस्त की है उसके बाद भी वे लोग दहशत में जी रहे है।

बीते दिवस किया था दो गायों का शिकार

गौरतलब है की ग्राम पंचायत झालीवाड़ा से करीब दो किलोमीटर दूर स्थित इसी ग्राम के राजघाट टोली में बीते दिवस बाघ ने दो गायों को अपना शिकार बनाया था। मौके पर वन विभाग ने आवश्यक कार्यवाही कर पशुधन हानि का मामला दर्ज करते हुये बाघ के बाल व उसके पग मार्ग इक_ा किये थे। जिसके बाद वन अमले ने बाघ के मूवमेंट बने होने की आशंका को देखते हुये ग्राम पंचायत की तरफ से मुनादी करवायी थी।

दूसरे दिन भी देखे गए भाग के पद चिन्ह

ग्राम पंचायत झलीवाड़ा अंतर्गत राजघाट टोली और राजीव सागर परियोजना रेस्ट हाउस मैं 5 दिसंबर को दो गाय का शिकार करने के बाद उक्त बाघ देर रात्रि मैं पुनः आया था जिसकी पुष्टि बाघ के द्वारा शिकार किए गए स्थान पर डाले गए गोबर के कंडे की राख मैं एवं गीली जमीन पर बाघ के पद चिन्ह फिर देखे गये। जिससे ग्रामीण और ज्यादा ख़ौफ़ में है

अधियादार किसान झोपड़ी बनाकर रहते है – रमेश

इस संबंध में जिन्होने बाघ देखने की पुष्टि की ग्रामीण रमेश वाघाड़े ने पद्मेश को बताया की बाघ ठीक उनके घर के सामने से गया था। वे अधियादार किसान है जो एक झोपड़ी बनाकर रहते है। ऐसे में कई बार रात्री में अपनी गहानी करने रखी फसल को देखने उठना पड़ता है। मगर बाघ की दहशत से अब उन्हे डर लगने लगा है।

हम लोग काफी डरे सहमे है – सुरेन्द्र

इसी तरह पद्मेश को जानकारी देते हुये सुरेन्द्र नगौसे ने बताया की उनकी ही गाय का शिकार बाघ ने किया है। हमारा घर बांस से बना झोपड़ी नुमा है। इसलिये हमने घर के बगल में ही एक छोटी सी झोपड़ी बनाकर अपने मवेशी बांधना प्रारंभ किया ही था की बाघ ने उनकी एक गाय का शिकार कर लिया। बाघ की इस तरह की हमारी टोली में दस्तक से हम लोग काफी डरे सहमे रह रहे है।

२० से २५ घर की है टोली

यहां यह बताना लाजमी है की इस टोली में करीब २० से २५ झोपड़ीनुमा मकान बने है। जिसमें १२० से १३० लोग निवास करते है। जिसमें बच्चे, महिला व पुरूष शामिल है।
घरों के सामने जलाई जा रही अंगार पुरूष वर्ग देता है पहरा
देर रात्री में पुरूष व महिला वर्ग ने अपने अपने झोपड़ीनुमा घरों के सामने अंगार जलाना प्रारंभ कर दिया है। वही देर रात्री तक वे लोग स्वयं एक बड़ा अलाव जलाकर बैठकर अपनी राते काटे रहे है। जिस किसी को भी नींद आती है तो बड़े अलाव के पास ही सो जाता है मगर कुछ लोग जागते रहते है ताकि बाघ किसी प्रकार की कोई हिंसक घटना को अंजाम न दे।

घरों के सामने बनाये गये काग भगौड़े के पुतले

गौर करने वाली बात है की आज ही इस टोली में रहने वालों ने काग भगौड़े के पुतले भी अपने घर के सामने बना दिये है। ताकि बाघ को ऐसा लगे की घर के सामने कोई इंसान जागृत अवस्था में है।

पद्मेश से दूरभाष पर चर्चा में वन परीक्षेत्र अधिकारी हर्षित सक्सेना ने बताया कि गस्ती के लिए तीन दल बनाए गए हैं जिनके द्वारा सघन गश्त की जा रही है। वर्तमान में स्थिति सामान्य समझ आ रही है देर रात्रि को बाद बाघ वापस हुआ था जिसके पद चिन्ह भी कुछ जगह मिले हैं पूरा अमला अलर्ट पर हैं और कैमरे भी लगा दिए गये है।

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