बारिश ने किसानों की बढ़ाई चिंता

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वारासिवनी खैरलांजी क्षेत्र सहित जिले में दो दिनों से बदली का मौसम बना हुआ है। जिसमें 28 नवंबर को सुबह से रिमझिम बारिश होती रही जिसने लोगों को भारी ठंडी का एहसास करवा दिया। ऐसे में किसानों के माथे पर स्पष्ट चिंता की लकीरें देखी जा रही है क्योंकि किसानों के द्वारा अपनी खरीफ की फसल खेतों में कटाई कर दी गई थी ऐसे में बारिश के पानी से पूरी फसल भीग गई है एवं उसमें नमी आ गई है। जिससे फसल को नुकसान पहुंचाने की संभावनाएं है जिसके कारण किसान चिंतित है कि अब उनकी फसल का क्या होगा जबकि किसानों को फसल की चुराई करने के बाद समर्थन मूल्य पर उक्त फसल को देना था परंतु उसमें अब उन्हें समय लगने की बात कही जा रही है कि जब फसल सुखेगी उसके बाद ही खेतों में पहली फसल को इकट्ठा कर आगे का कार्य किया जा सकता है। वर्तमान में वह फसल पूरी तरह गीली हो गई है जिसमें यह अभी स्पष्ट नहीं है कि उक्त फसल किसान के उपयोग की बचेगी भी या नहीं ऐसे में किसानों के द्वारा अपने खेतों का निरीक्षण कर आवश्यक सुरक्षा के इंतजाम कर लिये गये परंतु फसल को नहीं उठाया गया है। उनके द्वारा मौसम के खुलने का इंतजार किया जा रहा है जिससे कि उनकी फसल सुख सके और फसल की नमी कम हो जिसके बाद वह आगे के कार्य कर सके।

करीब 8:30 घंटे तक होती नहीं लगातार बारिश

यहां यह बताना लाजिमी है कि बारिश का मौसम 27 नवंबर से आसमान में बदली से बना हुआ था जो 28 नवंबर को भी बना रहा। इस दौरान सुबह 6:30 से 7:00 के बीच अचानक रिमझिम बारिश प्रारंभ हो गई जो लगातार दोपहर करीब 3:30 बजे तक चलती रही। इस दौरान यह बारिश अपनी गति को कम ज्यादा करती रही बीच में एक बार बारिश बंद हुई परंतु 10 मिनट बाद पुनः प्रारंभ हो गई। इस प्रकार से यह बारिश करीब 8:30 घंटे तक होती रही जिसने किसानों की फसल खेत सहित पूरे क्षेत्र को भिगोकर रख दिया।

किसान मौसम खुलने का कर रहे इंतजार

गैरतलब है कि मंगलवार की सुबह से प्रारंभ हुई बारिश में किसानों को हल्की बूंदा बांदी लगी परंतु जैसे ही लंबे समय तक यह बारिश जारी रही जिसके साथ किसानों की चिंता बढ़ गई और सभी ने अपने खेतों में जाकर एक बार अपनी फसल का मुआयना किया। ऐसे में देखने में आया कि 27 नवंबर को आसमान में बदली देख किसान अपनी फसल इकट्ठा करने में जुट गए थे परंतु अधिकांश किसानों की फसल कटाई के बाद खेत में पड़ी हुई थी जो गीली हो गई थी। ऐसे में वह अब ईश्वर से मौसम खोलने की प्रार्थना कर रहे हैं ताकि सूर्य देव की चमक के साथ उनकी फसल भी सुख सके जिससे वह आगे का कार्य कर शासन या व्यापारी को अपनी उपज दे सके।

विदित हो की बालाघाट जिला धान उत्पादक जिला है जहां पर खरीफ और रबी दोनों फसल में अत्यधिक मात्रा में धान का उत्पादन किया जाता है। ऐसे में वर्तमान में खरीफ की फसल की कटाई का दौर क्षेत्र में जारी है जिसमें धान के बोझे बांधकर खराई रच दी गई है या खेत में फसल खड़ी है उन्हें नुकसानी नहीं है परंतु जिनकी फसल खेत में पड़ी है उन्हें इस बारिश से समस्या है। ऐसे में उन्हें डर लगा हुआ है कि यदि एक से दो दिन यह बारिश का दौर चलता है तो उनकी फसल पूरी तरह नष्ट हो जाएगी जिसमें ना ही पैरा उन्हें प्राप्त होगा और ना ही अनाज ऐसी स्थिति में उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा क्योंकि अधिकांश कृषक सोसाइटी से कर्ज लेकर फसल लगते हैं।

किसान ओमप्रकाश पंचेश्वर ने पद्मेश से चर्चा में बताया कि धान की कटाई हो गई है कड़पे खेत में पड़े हुए हैं और बीच में बारिश होने से वह फसल गीली हो गई है अब उसकी गहानी या बोझे बांधने का कार्य नहीं कर सकते हैं। खेत की जमीन भी गीली हो गई है जहां पर पहले नमी बनी हुई थी इसे लेकर अब समस्या है कि जब तक पूरी फसल और खेत सुखेगा नहीं तब तक फसल का उठाव नहीं कर सकते हैं। श्री पंचेश्वर ने बताया कि फसल में जो पैरा है वह काला पड़ेगा और धन पर भी असर पड़ेगा जो फसल खड़ी है उसे नुकसान नहीं है कटाई करने के बाद वह ठीक है। परंतु करपा पड़ा हुआ है खेत में पानी जमा नहीं है और जिन लोगों ने खराई रच दी है उसमें ऊपर का हल्का गीला होता परंतु नमी से अंदर भी दान खराब होने की संभावना है।

किसान सुखचंद कावरे ने पद्मेश से चर्चा में बताया कि अभी बोझा समेट कर जमा कर रहे हैं बारिश होने से फसल गीली होगी इसमें जो दाना है वह पीला लाल रंग का बनेगा इस परिस्थिति में सरकार या व्यापारी पाखड़ चावल को खरीदने की सोचेगा और जब मलकर होगा तभी इसे हम बेचने ले जाएंगे। श्री कावरे ने बताया कि शासन की खरीदी समर्थन मूल्य पर दो माह की होती है पर इस बार कितने दिन की है पता नहीं जैसे ही 1 दिसंबर को चालू होगी तो उसकी जानकारी हमें मिल जाएगी। परंतु अभी हम अपनी फसल समेट रहे हैं फसल को बदली से कोई नुकसान नहीं है बरसात से समस्या है।

राजाराम पंचेश्वर ने पद्मेश चर्चा में बताया कि किसान को बहुत ज्यादा समस्या है क्योंकि करपा उठा नहीं है खराई को अभी ढाक रहे हैं बारिश होने से हर किसान को समस्या होगी। इसके लिए मौसम खुलने का इंतजार कर रहे हैं पैर भी किसान नहीं डाल रहे उन्हें डर लगा है कि धान यदि वह बिछाते हैं और अचानक पानी आ जाता है तो उनकी फसल खराब होगी। इसलिए हर कोई सोच रहा है की मौसम खुलेगा तो आगे का काम करेंगे जो हल्की बूंदाबांदी हो रही है इससे भी नुकसान हो सकता है फसल गीली होने पर अंकुर निकलेगा इसलिए किसान काम करने के लिए भी सोच रहा है।

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