बालाघाट (पद्मेश न्यूज)। जिले के भीतर पहले से ही जिला अस्पताल से लेकर तहसील मुख्यालय स्थित अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बड़ी परेशानी का कारण बनी रही है। उस पर बीते दिनों 2 संविदा चिकित्सकों ने शासकीय नौकरी से तौबा कर ली। तो वहीं जिले के अन्य असपतालो में सेवाएं दे रहे बांडेड चिकित्सकों के बाद समाप्त होने पर ना ही चिकित्सकों ने बांड बढ़ाने पर रुचि दिखाई और ना ही सरकार ने जिला अस्पताल से लेकर तहसील मुख्यालय के अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं उन चिकित्सकों के अचानक सरकारी नौकरी से तौबा कर लेने के कारण काफी हद तक एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होने लगी है।
सरकारी नौकरी से की तौबा
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जिला अस्पताल में संविदा चिकित्सक के रूप में सेवाएं दे रहे डॉक्टर भजन लिल्हारे कोविड-मेडिकल वार्ड से लेकर आईसीयू तक का प्रभार संभाले हुए थे। लेकिन जैसे ही कोविड की दूसरी लहर का प्रभाव कम हुआ उन्होंने नौकरी से तौबा कर दी। इसी तरह जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर यूनिट में अपनी सेवाएं दे रही पीजी गायनिक विशेषज्ञ डॉक्टर ममता टेम्भूरने ने भी नौकरी छोड़ दी। यही नहीं जिले के अलग-अलग अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं लगभग आधा दर्जन चिकित्सकों के बांड समाप्त होने पर उन्होंने बांड बढ़ाए जाने के लिए सरकार से कोई मांग की ना सरकार ने इस मामले में कोई पहल नही की।
स्वास्थ्य सेवाएं होगी प्रभावित
निश्चित ही जिले के भीतर इतने अधिक चिकित्सकों के एक साथ नौकरी से तौबा कर देने की वजह से एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जिले वासियों को परेशानी उठानी पड़ेगी वहीं दूसरी ओर कोविड संभवित तीसरी लहर विशेषज्ञ चिकित्सको की कमी परेशानी का कारण भी बन सकती है।
50 प्रतिशत पद खाली- सीएचएमओ
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मनोज पांडे ने बताया कि जिला अस्पताल के अंतर्गत सिविल सर्जन से लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अंतर्गत क्लास-1, क्लास-2 सहित मेडिकल अधिकारियों के 50 फ़ीसदी पद खाली है। शासन की योजना अनुसार बांड समाप्त होने पर कुछ चिकित्सक नौकरी से बाहर हो गए, तो वही जिला अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर में सेवाएं दे रहे हैं। दो सविदा चिकित्सकों ने नौकरी छोड़ दी।