शहर के पुराने बस डिपो के निकट स्थित बूढ़ी मेहरा तालाब को संरक्षित किए जाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने स्थानीय प्रशासन को फटकार लगाई है। जिसमें एनजीटी ने स्थानीय प्रशासन को 2 माह की मोहलत देते हुए बूढ़ी तलाब में किए गए अतिक्रमण को हटाने, तालाब में आने वाले नालों व नालियों के पानी को रोकने और बूढी तालाब को संरक्षित कर उसका सौंदर्यीकरण किए जाने के निर्देश दिए हैं।
यही नही तय समय सीमा में दिए गए निर्देशों का पालन ना होने पर प्रत्येक नाले नालियों के अनुसार 5 लाख रु प्रति माह की दर से नपा पर जुर्माना लगाकर जुर्माने की राशि वसूलने को कहां है।
नगर में ऐसे कई तालाब हैं जिसका नपा व जिला प्रशासन के साथ-साथ एनजीटी का भी ध्यान नहीं है जिसमें नगर का देवी तालाब और मोती तालाब भी शामिल है जिनके हालात भी बूढ़ी तालाब की माफ़िक़ नजर आ रहे हैं,लेकिन इस तालाबों के संरक्षण पर किसी का कोई ध्यान नहीं है। जिस कारण नगर के यहां तालाब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं।
तालाबो के संरक्षण पर शहर के नागरिकों ने तालाबों में आ रहे गंदे पानी को रोकने तालाबों की साफ-सफाई की उचित व्यवस्था करने की मांग की है,वही सभी ने तालाबो की इस बदहाली के नगर पालिका को जिम्मेदार ठहराया है।
मोबाइल पर हुई चर्चा के दौरान नगर पालिका के सीएमओ सतीश मटसेनिया ने बताया कि कलेक्टर दीपक आर्य से चर्चा कर बूढ़ी तालाब के अतिक्रमण को हटाया जाएगा। वही नगर के सभी तालाबों के आसपास पानी निकासी की व्यवस्था कर, तालाब के भीतर आने वाले सभी नालियों के पानी को तालाब में जाने से रोका जाएगा।