नगर पालिका परिषद प्रशासन द्वारा चाहे शहर को साफ सुथरा रखने का ढिंढोरा पीटते जाता हो लेकिन उसके द्वारा संचालित शिक्षण परिसर में कितने साफ-सुथरे हैं इस बार का उदाहरण शहर के हृदय स्थल में संचालित शासकीय कस्तूरबा शाला स्कूल में दिखाई दे रहा है।
वर्षों पहले तक शहर के मुख्य शिक्षण संस्थानों में गिने जाने वाले शासकीय कस्तूरबा गांधी स्कूल के हालात इन दिनों बद से बदतर दिखाई दे रहे हैं। इसकी बड़ी वजह बीते 2 वर्षों से कोरोना के कारण स्कूल का लगातार नहीं खुलने को भी बताया जा रहा है।
आपको बताएं कि इस स्कूल का संचालन और व्यवस्थाओं का जिम्मा नगर पालिका प्रशासन का है लेकिन इसके बावजूद यहां की साफ-सफाई को लेकर नगर पालिका प्रशासन के द्वारा लापरवाही बरती जा रही है वहीं स्कूल प्रबंधन के द्वारा भी अपने स्तर पर किसी तरह के इंतजाम नहीं किए गए हैं।
वर्तमान में बंद यह स्कूल आवारा मवेशी के लिए चारागाह बन चुकी है इसके अलावा चारों ओर गंदगी व्याप्त है जिसको स्कूल प्रबंधन अनदेखी कर रहा है। वही दूसरे और शासन के निर्देशों का पालन करते हुए शिक्षक और स्टॉप बकायदा अपनी मौजूदगी स्कूल में दर्शाया है एक शाला एक परिसर स्कूल में आंगनवाड़ी भी है जहां पर पोषण आहार के लिए बच्चों का भी आना जाना लगा रहता है लेकिन गंदगी के कारण उनके स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ सकता है।
इस संदर्भ में दूरभाष पर चर्चा के दौरान स्कूल के प्राचार्य सुरेंद्र याग्निक ने बताया कि स्कूल की सफाई व्यवस्था नगर पालिका प्रशासन के द्वारा की जाती है स्कूल की व्यवस्था को लेकर कई बार नगर पालिका प्रशासन को आवेदन भी दिया गया है लेकिन साफ सफाई नहीं की गई।