नगर मुख्यालय स्थित शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में ५ नवंबर को जादू नही विज्ञान है समझना, समझाना आसान है पर विकासखण्ड स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह प्रतियोगिता उत्कृष्ट विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक जीआर अंगुरे, सनत दुबे, श्रीमती संतोष अग्रवाल की उपस्थिति में प्रारंभ हुआ जिसमें सर्वप्रथम उपस्थितजनों ने माँ सरस्वती के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण किया। इस एक दिवसीय जादू नही विज्ञान है समझना, समझाना आसान है पर आयोजित विकासखण्ड स्तरीय प्रतियोगिता में विकासखण्ड के तीन विद्यालय के छात्र-छात्राओं के द्वारा विज्ञान के चमत्कारों को नाटक के माध्यम से ज्ञान वर्धन, विज्ञान के प्रति जागरूकता उत्पन्न कर, प्रयोगों को समझने हेतु सरल बनाकर एवं जनसामान्य में व्याप्त अंधविश्वास को दूर करने का प्रयास किया गया। इस दौरान शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय लालबर्रा, शासकीय उमावि. बिरसोला व जाम के विद्यार्थियों ने विज्ञान की चमत्कारिक रासायनिक एवं भौतिक घटनाएं जिसमें ढोंगी, पाखंडी बाबा विज्ञान की इन चमत्कारिक घटनाओं को नाटक के माध्यम से प्रदर्शित कर बताया गया कि भूत-प्रेत कुछ नही है सिर्फ हमारा भ्रम है क्योंकि विज्ञान में भूत का कोई अस्तित्व नही है इसलिए अंध विश्वास से दूर रहने प्रेरित किया गया और इस तरह के प्रतियोगिता आयोजित होने से विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति रूचि बढ़ेगी और उनके बौद्धिक ज्ञान में वृद्धि होगी। जादू नही विज्ञान है समझना, समझाना आसान है आयोजित विकासखण्ड स्तरीय प्रतियोगिता में शास. उमावि. बिरसोला ने प्रथम, उत्कृष्ट विद्यालय लालबर्रा ने द्वितीय व जाम ने तृतीय स्थान प्राप्त किया जिसमें शा. उमावि. बिरसोला का जिला स्तरीय प्रतियोगिता के लिए चयन हुआ है जो आगामी ७ नवंबर को बालाघाट में आयोजित जिला स्तरीय प्रतियोगिता में विकासखण्ड का प्रतिनिधित्व करेगी।
चर्चा में उत्कृष्ट विद्यालय विज्ञान शिक्षिका श्रीमती संतोष अग्रवाल ने बताया कि जादू नही विज्ञान है, समझना, समझाना आसान है पर विकासखण्ड स्तरीय प्रतियोगिता आयोजित की गई थी जिसमें तीन विद्यालय शामिल हुए और प्रतियोगिता आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य है कि समाज में जो कुरीतियां फैली हुई है ढोगी बाबा के रूप में उसे दूर करना और बच्चों को विज्ञान के करीब लाने के साथ ही उन्हे विज्ञान के प्रति जागरूक करना है क्योंकि लोग अंध विश्वास पर विश्वास कर लेते है जिससे उन्हे आर्थिक व मानसिक नुकसान भी होता है इसलिए उन्हे अंधविश्वास से दूर लाकर वास्तविक जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है।