महाराष्ट्र में शिवसेना के शिंदे धड़े और भाजपा की गठबंधन सरकार के गठन का एक माह हो चुका है, लेकिन अब तक कैबिनेट का विस्तार नहीं किया गया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार दिल्ली में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अमित शाह की इस संबंध में बातचीत हो चुकी है। उन्होने कैबिनेट विस्तार पर मुहर लगा दी है। कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही इसकी घोषणा कर दी जाएगी। शिंदे और फड़नवीस का ध्यान अब नगर निगमों और स्थानीय निकाय चुनाव पर केंद्रित हो गया है। वे इस बार मुंबई नगर निगम पर कब्जे को लेकर संकल्पित हैं।
एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना को पार्टी बचाने की बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, मुंबई नगर निगम चुनाव में उद्धव ठाकरे के लिए पार्टी निर्माण और शिंदे समूह और भाजपा गठबंधन की दोहरी चुनौती मिलने वाली है। माना जा रहा है कि इस बार मुंबई नगर निगम का चुनाव पहले कु तुलना में कुछ अलग होने वाला है।
मुंबई नगर निकाय चुनाव के लिए वार्ड आरक्षण की घोषणा के बाद अब सभी दलों के उम्मीदवारों ने मार्च निकालना शुरू कर दिया है। टिकट बंटवारे को लेकर शिवसेना के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द होने की संभावना है। शिवसेना द्वारा टिकट नहीं मिलने से असंतुष्ट नेता एकनाथ शिंदे और भाजपा के पास जाकर टिकट पाने की कोशिश करेंगे। इससे शिवसेना के आधिकारिक उम्मीदवार के लिए मुश्किल पैदा हो जाएगी।
मुंबई में शिंदे की कोई राजनीतिक ताकत नहीं है। हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञों की राय है कि चूंकि शिंदे का विद्रोह सेना में अब तक हुए विद्रोहों की तुलना में सबसे प्रभावशाली है, इसलिए स्थानीय मतदताता उन्हें नजरअंदाज नहीं करेंगे। इस साल होने वाले नगर निकाय चुनाव में शिवसेना को भाजपा और शिंदे गुट के रूप में दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। भाजपा ने पहले ही अपनी कमर कस ली है, सन 2017 के चुनाव में अगर भाजपा को केवल दो सीटें और मिल गई होतीं, तो नगरपालिका की सत्ता पर उसका कब्जा हो जाता। माना जा रहा है भाजपा शिंदे समूह का चुनाव में पूरा इस्तेमाल करेगी।