नर्मदापुरम जिसे पहले होशंगाबाद लोकसभा सीट के नाम से जाना जाता था। यह मध्यप्रदेश का एक अनूठा निर्वाचन क्षेत्र है, जहां कांग्रेस पार्टी 1952 और 1957 में हुए शुरुआती दो संसदीय चुनावों में विजयी नहीं हुई थी। उन चुनावों में जीत जनसंघ को नहीं बल्कि प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के हरिविष्णु कामथ को मिली थी।
बता दें, कि 1980 और 1984 में यह सीट कांग्रेस ने जीती थी, जब रामेश्वर नीखरा चुनाव में विजयी हुए थे। ठीक उसी तरह जैसे कि प्रताप भंडू शर्मा ने विदिशा निर्वाचन क्षेत्र में जीत हासिल की थी। 2009 के चुनाव में उदय प्रताप सिंह कांग्रेस के टिकट पर विजयी हुए थे, लेकिन बाद में वे भाजपा में चले गए। 2014 और 2019 के चुनावों में उन्हें काफी बड़े अंतर से जीत मिली। हालांकि 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्हें गाडरवारा से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया। वर्तमान में वे मोहन यादव मंत्रिमंडल में मंत्री पद पर हैं। 1991, 1996, 1998 और 2004 में चार बार होशंगाबाद से चुनाव जीतने वाले सरताज सिंह भी होशंगाबाद के एक प्रमुख राजनीतिक व्यक्ति रहे हैं। उन्होंने जातिगत समीकरण या अन्य कारकों के बजाय अपनी योग्यता और पार्टी के समर्थन के आधार पर चुनाव जीता।
क्या है बीजेपी का हाल
2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 3 जिलों- नरसिंहपुर, नर्मदापुरम और रायसेन में फैले 8 विधानसभा क्षेत्रों में से सभी सीटें जीतीं। साथ ही नर्मदापुरम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों से चुने गए 8 विधायकों में से 3 मोहन यादव की मंत्रिपरिषद में मंत्री हैं। इनमें प्रहलाद पटेल और उदय प्रताप सिंह शामिल हैं। विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सीतासरन शर्मा नर्मदापुरम से आते हैं और वर्तमान में यहां से विधायक हैं। इस लिहाज से भाजपा हर तरफ से सुरक्षित नजर आ रही है।
क्या है कांग्रेस का हाल
कांग्रेस के लिए एकमात्र संभावना यह है कि भाजपा उम्मीदवार दर्शन सिंह चौधरी पहली बार लोकसभा चुनाव में भाग ले रहे हैं। हालांकि यह अनिश्चित है कि कांग्रेस उम्मीदवार संजय शर्मा, जो कि नए चेहरे हैं। 2019 में भाजपा उम्मीदवार उदय प्रताप सिंह की जीत के अंतर को पार कर पाते हैं या नहीं। पिछली बार जीत का अंतर 5 लाख 53 हजार 682 वोटों से रहा था। 1989 के बाद से कांग्रेस ने यह सीट केवल एक बार 2009 में जीती थी और भाजपा ने इस सीट को आठ बार जीता है।