सरकार ने खरीफ की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाया है। धान (सामान्य) का MSP पिछले साल के 1,868 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1,940 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है, यानी 72 रुपए ज्यादा। हालांकि किसान इससे खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि डीजल की बढ़ी कीमतों से अब धान की खेती में फायदा नहीं रह गया है। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के किसान धर्मेंद्र शर्मा का कहना है कि धान की खेती इलेक्ट्रिसिटी के जरिए ही करने से फायदा मिलता है।
डीजल के जरिए धान की खेती में फायदा नहीं
धर्मेंद्र शर्मा कहते हैं कि अगर पर डीजल पंप के जरिए धान करते हैं तो 1 बीघा में घान करने के लिए आपको करीब 100 लीटर डीजल खर्च करना पड़ता है। अभी डीजल 96 रुपए प्रति लीटर के भी पार निकल गया है। यानी 1 बीघा में धान करने के लिए आपका डीजल का खर्च 9600 रुपए हुआ।
इसके बाद खाद, खेत जुताई और दवा का छिड़काओ जैसे कामों में 8 हजार रुपए का खर्च आता है। वहीं 1 बीघा में 7 से 8 क्विंटल धान होती है। अगर हम 8 क्विंटल भी मान लें तो नई MSP के हिसाब से इसकी कीमत 15,520 रुपए की हुई। वहीं डीजल से खेती का खर्च 17600 आएगा जो MSP से ज्यादा है। यानी किसान का घाटा उठाना पड़ेगा।
केरोसीन से पंप चलाने को मजबूर
गांव में आमतौर पर 10 से 11 घंटे लाइट आती है और महीने में 3 से 4 दिन ऐसा भी होता है जब पूरे दिन लाइट नहीं रहती ऐसे में पानी के पंप को कैरोसीन (मिट्टी का तेल) के जरिए पंप चलाया जाता है। ये 30 से 40 रुपए लीटर पर उपलब्ध हो जाता है। ऐसे में जब लाइट नहीं होती है तो इसके जरिए पंप चलाकर खेत में पानी दिया जाता है।
लाइट के जरिए धान की खेती से ही फायदा
किसान धर्मेंद्र शर्मा कहते हैं कि धान की खेती के लिए बिजली विभाग 6500 रुपए की रसीद काटता है। इससे आप धान के खेत में पानी देने के लिए लाइट से पंप चला सकते हैं। इस तरह से खेती करने पर प्रति बीघा 9 हजार रुपए तक का खर्च आता है। इस तरह से खेत में पानी देकर धान की खेती करने से यहां प्रति क्विंटल 600 से 700 रुपए का फायदा हो जाता है।
बीते 1 साल में MSP 4% भी नहीं बढ़ा लेकिन डीजल 35% महंगा हुआ
धर्मेंद्र शर्मा कहते हैं कि बीते 1 साल में MSP 4% भी नहीं बढ़ा है लेकिन यहां डीजल 35% कम महंगा हो गया है। ऐसे में अगर कोई किसान डीजल के भरोसे धान की खेती करेगा तो उसकी लागत भी नहीं निकलेगी। 10 जून 2020 को यहां डीजल 71 रुपए प्रति लीटर के करीब था जो अब 96 रुपए के ऊपर निकल गया है।
डीजल पर सरकार वसूल रही भारी भरकम टैक्स
हमारे देश में पेट्रोल-डीजल महंगा नहीं है लेकिन सरकार के टैक्स लगाने के बाद ये बहुत महंगा हो जाता है। हमारे देश में डीजल का बेस प्राइस तो अभी 38 रुपए के करीब ही है। लेकिन केंद्र और राज्य सरकारें इस पर टैक्स लगाकर इसे 100 रुपए पर पहुंचा देती हैं।
इस पर केंद्र सरकार 32 रुपए एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है। इसके बाद राज्य सरकारें इस पर अपने हिसाब से वैट और सेस वसूलती हैं, जिसके बाद इनका दाम बेस प्राइज से ढ़ाई गुना तक बढ़ गया है। दिल्ली में डीजल पर 44 रुपए से भी ज्यादा टैक्स वसूला जाता है।
डीजल की सबसे ज्यादा खपत ट्रांसपोर्ट और एग्रीकल्चर सेक्टर में
भारत में डीजल की सबसे ज्यादा खपत ट्रांसपोर्ट और एग्रीकल्चर सेक्टर में होती है। दाम बढ़ने पर यही दोनों सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। डीजल के दाम बढ़ने से खेती से लेकर उसे मंडी तक लाना महंगा हो गया है। इससे आम आदमी और किसान दोनों का बजट बिगड़ सकता है।
किसानों को डीजल में मिले सब्सिडी
सीनियर इकोनॉमिस्ट वृंदा जागीरदार कहती हैं कि सरकार को किसान की आय बढ़ाने के प्रयास करना चाहिए। इसके लिए सरकार को किसानों को डीजल पर सब्सिडी देनी चाहिए। इसके लिए सरकार को एक सही व्यवस्था बनाकर काम करना चाहिए। इससे किसानों की आय बढ़ेगी।