बुरहानपुर में जवानी के दिन बिता देने वाले ओडिशा निवासी भरत महापात्र को 40 साल बाद बुढ़ापे में स्वजन मिल गए। रोटी बैंक के सदस्यों और समाजसेवियों की मदद से उन्हें स्वजनों से मिलाया गया। बुधवार सुबह समाजसेवियों ने शाल-श्रीफल के साथ भरत और स्वजन का सम्मान कर ट्रेन से घर रवाना किया। इसके पूर्व स्वजन ने भरत को देखा तो आंसू बहने लगे। एसडीएम केआर बड़ोले और रोटी बैंक के संजयसिंह शिंदे ने बताया कि करीब 40 साल पहले ओडिशा के भुवनेश्वर के टिकरपाड़ा गांव के रहने वाले 80 वर्षीय भरत महापात्र परिवार से बिछड़ गए थे। वे घर से काम की तलाश में मुंबई पहुंच गए थे। कुछ दिन बाद ठेकेदार ने काम खत्म होने पर उन्हें घर जाने को कहा। ओडिशा के बेहरामपुर के बजाय बुरहानपुर रेलवे स्टेशन पर उतर गए। उन्हें हिंदी नहीं आती थी। इससे वे बुरहानपुर में ही रह गए। उन्हें मामा के गांव का नाम याद था। खुद के गांव का नाम भूल गए थे।
ऐसे ढूंढा स्वजनों का पता : भरत को घर तक पहुंचाने में रोटी बैंक बुरहानपुर ने पहल की। इसकी जानकारी कलेक्टर प्रवीण सिंह को देने पर उन्होंने एसडीएम केआर बड़ोले को निर्देशित किया। एसडीएम ने उड़िया भाषा जानने वाले व्यक्ति की तलाश की तो पता चला आयुर्वेदिक कॉलेज की प्रोफेसर ओडिशा की हैं। बुजुर्ग को उनसे मिलाया, तब उन्होंने भुवनेश्वर के टिकरपाड़ा गांव का नाम बताया। गत दिनों बुरहानपुर के ओमप्रकाश सोनी और देवकीनंदन सोनी की ओर से बहन स्व. लक्ष्मीदेवी झंवर निवासी कटक (ओडिशा) की स्मृति में रोटी बैंक में एक दिन के भोजन खर्च की राशि दान की गई, तब उन्हें बुजुर्ग की पूरी कहानी सुनाई गई। उन्होंने अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर बुजुर्ग के घर का पता निकाला गया और स्वजन को सूचना दी गई।