बृहस्पति के चांद पर जीवन तलाशेगा नासा का महत्वाकांक्षी यूरोपा क्लिपर मिशन, करेगा 2.9 अरब किलोमीटर की यात्रा

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वॉशिंगटन: वैज्ञानिकों के बीच ये सवाल वर्षों से रहा है कि क्या हमारे सौर मंडल में पृथ्वी की तरह कहीं और भी जीवन संभव है। मंगल पर पानी और जीवन की संभावनाएं ढूंढ़ने की कोशिश लंबे समय से होती रही है। इसी दिशा में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा यूरोपा क्लिपर मिशन शुरू कर रही है। इस मिशन के तहत बृहस्पति के कई चंद्रमाओं में से एक यूरोपा पर जीवन की संभावना तलाशेगा। साढ़े पांच साल की यात्रा पर नासा का मिशन आज, सोमवार को लॉन्च हो रहा है।

यूरोपा क्लिपर मिशन नासा को चंद्रमा के बारे में नए और अहम विवरण देगा, जिसके बारे में वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी बर्फीली सतह के नीचे तरल पानी का एक महासागर हो सकता है। नासा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि फ्लोरिडा के केप कैनावेरल से शक्तिशाली स्पेसएक्स फाल्कन हेवी रॉकेट पर सवार होकर यूरोपा क्लिपर यान सोमवार, 14 अक्टूबर को उड़ान भरने जा रहा है। यह यान नौ वैज्ञानिक उपकरणों को लेकर जा रहा है। यूरोपा क्लिपर साढ़े पांच साल में 2.9 अरब किलोमीटर की यात्रा कर 2030 में बृहस्पति की कक्षा में एंट्री लेगा।

नासा ने बताया क्यों खास होगा मिशन

नासा की अधिकारी जीना डिब्रैकियो ने हाल ही में कहा था कि यूरोपा पृथ्वी से परे जीवन की तलाश के लिए सबसे आशाजनक स्थानों में से एक है। ये मिशन सीधे तौर पर जीवन के संकेतों की तलाश नहीं करेगा, बल्कि इस सवाल का जवाब तलाशेगा कि क्या यूरोपा में ऐसे तत्व हैं जो जीवन को मौजूद होने की अनुमति देंगे। ऐसा होता है, तो किसी अन्य मिशन को इसका पता लगाने की कोशिश करने के लिए यात्रा करनी होगी।

यूरोपा क्लिपर कार्यक्रम के वैज्ञानिक कर्ट नीबर कहते हैं, ‘यह हमारे लिए मंगल ग्रह की तरह उस दुनिया का पता लगाने का मौका नहीं है जो अरबों साल पहले रहने योग्य रही होगी। बल्कि एक ऐसी दुनिया का पता लगाने का मौका है जो आज या अभी रहने योग्य हो सकती है।

वैज्ञनिकों ने यूरोपा ही क्यों चुना?

यूरोपा का अस्तित्व 1610 से ज्ञात है। इसकी पहली क्लोज-अप तस्वीरें 1979 में वोयाजर जांच द्वारा ली गई थीं, जिससे इसकी सतह पर रहस्यमयी लाल रेखाएं दिखाई दीं। बृहस्पति के बर्फीले चंद्रमा तक पहुंचने वाली अगली जांच 1990 के दशक में नासा की गैलीलियो जांच थी। इसमें कहा गया कि इसकी बहुत संभावना है कि चंद्रमा एक महासागर का घर था। ऐसे में वैज्ञानिकों की दिलचस्पी यूरोपा में है।

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