बेमौसम बारिश से ‘देशी फ्रीज’ मटका का व्यवसाय पड़ा ठंडा

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गर्मी के दिनों में आमतौर से सभी का गला तर करने वाले देशी फ्रिज के नाम से प्रख्यात मिट्टी के घड़े अब नई पीढ़ी व बदलते परिवेश के चलते कम मायने रखने लगे है तो वहीं अप्रैल माह में भीषण गर्मी क ी जगह सावन माह की तरह बारिश हो रही है। जिससे मौसम में ठंडकता घुल रही है जिससे कारण देशी फ्रीज यानि मटके की बिक्री बुरी तरह से प्रभावित हो रही है और इस बदलते मौसम के कारण व बदलते परिवेश में मिट्टी के मटकों का चलन कम होने की वजह से इस वर्ष कुम्हारों के द्वारा कम मटकों का निर्माण किया गया है। साथ ही बार-बार मौसम बदलने व बारिश होने से वे मटके सहित अन्य मिट्टी के बर्तनों का निर्माण नही कर पा रहे है जिसके कारण वे खासा परेशान नजर आ रहे है। जबकि ये लोग मिट्टी के मटके व अन्य बर्तन ,मुर्ति बनाकर उसे विक्रय कर प्राप्त आय से अपने परिवार का पालन-पोषण करते है परन्तु उनके इस रोजगार पर बे-मौसम बारिश ने खलल डाल दिया है और मौसम ठंडा होने के कारण देशी फ्रीज (मटका) का व्यवसाय ठंडा पड़ा हुआ है जिसके कारण मटकों की ब्रिकी नही पा रहा है इसलिए कुम्हार अपने व्यवसाय को लेकर चिंतित है। आपको बता दें कि नगर मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलों में कुम्हारों के द्वारा अपने पुस्तैनी कार्य को आगे बढ़ाते हुए ठंडे पानी के मटके, सुरई, दीपक सहित अन्य मिट्टी के बर्तन बनाकर जीवनयापन करते आ रहे है परन्तु उनका चलन कम होने व इस वर्ष बेमौसम बारिश के कारण उन पर दोहरी मार पड़ी है। जिससे उनका व्यवसाय भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है जिसके चलते उन्हे आर्थिक संकट से जुझना पड़ रहा है। चर्चा में कुम्हारों ने बताया कि विगत कई वर्षोंसे हमारे द्वारा मिट्टी के मटके, गल्ला, कलशों व अन्य पात्रों का निर्माण कर उसे पकाने के बाद उसे बाजार में विक्रय किया जाता है किन्तु इस वर्ष बेमौसम बारिश से गर्मी नहीं पडऩे के कारण व्यापार में कुछ भी उठाव नजर नहीं आ रहा है एवं प्रतिवर्ष गर्मी के दिनों के ठंडे पानी के मटके की मांग अधिक रहती थी परन्तु फ्रिज व आरो का उपयोग अधिक होने के साथ ही इस वर्ष मौसम परिवर्तन के साथ ही बारिश होने के कारण तेज गर्मी नहीं पड़ रही है जिससे लोगों को गर्मी का एहसास नहीं हो पा रहा है। यहीं वजह है कि ठंडे मटके का भी व्यापार मंदा चल रहा है और मेहनत के हिसाब से दाम नही मिल पा रहे है ऐसी स्थिति में जीवन यापन करने में खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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