तहसील मुख्यालय में सार्वजनिक दुर्गा उत्सव समिति बैहर बस स्टेन्ड द्वारा 5 वर्ष शारदेय नवरात्र पर्व में गांव से लेकर पड़ोसी राज्य महानगरों से प्रसिध्द देवी देवताओं के स्वरूपों की 251 प्रतिमाएं स्थापित कर आराधना की जा रही है। एक ही पंडाल में इतनी सारी प्रतिमाएं रखी होने से सुबह शाम दर्शन करने भक्तों की भीड़ लगी रहती है। पंडाल में अनेक झांकियां आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है और यहां नवरात्र पर मेला जैसा व्यापक वातावरण है। प्रतिमाओं का निर्माण बालौद छत्तीसगढ़ के कारीगरों द्वारा बैहर में आकर तीन माह मेें किया गया है। शारदेय नवरात्र पर्व के दौरान जिले के बैहर तहसील में एक साथ इतनी प्रतिमा रखने का रिकार्ड बैहर के नाम दर्जै हो गया है।
सार्वजनिक दुर्गा उत्सव बैहर बस स्टेन्ड के पदाधिकारीयों समा चार पत्र में नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर जानकारी से अवगत कराते हुये नवरात्र पर्व में बस स्टेन्ड में माता रानी की एक प्रतिमा स्थापित की गई है और गांव शहर व देश के माहनगरों के प्रसिध्द देवी देवताओं के अलग-अलग स्वरूपों की प्रतिमाऐं रखे है। इसके अलावा अनेक तरह की झांकियां भी है। बैहर में 251 प्रतिमाओं के रखने की जानकारी जिस किसी भी भक्त को मिलती है वे बच्चे परिवार गांव की गांव नरनारी दर्शन करने के लिए अपने आपको रोक नहीं पाते हैं।
इसके चलते नवरात्र के दिन में रोजाना उत्कृष्ट विद्यालय मैदान में भारी संख्या में मां के भक्तों की भीड़ देखने को मिन रही है। यहां पर शाम से रात तक का नजारा देखते ही बनता है। देवी देवताओंं की 244 प्रतिमाएं बालैद छत्तीसगढ़ राज्य के 13 कारीगरों द्वारा निर्माण बैहर मुख्यालय में तीन माह में किया गया है और सात प्रतिमाएं सागर जिले से लाए हैं।
संगीत मय रोज हो रही महाआरती पंडित निरंजन शर्मा ने बताया कि नवरात्र के पूरे नौ दिनों पूजा अर्चना करने और राज शाम सुबह आरती सम्पन्न होती बस स्टेन्ड आटो स्टेन्ड प्रांगण में प्रतिवर्षनुसार इस वर्ष भी भंडारा दिन के 12 बजे से 4 बजे तक होता है। सुबह शाम आरती सम्पन्न करवाने बनारस से पंडित जगमोहन शर्मा 11 पंडितों को बुलवाया गया है। वही बैहर से पंडित निरंजन शर्मा, सुनिल प्रसाद पांडे अन्य पंडित शामिल है। रोजाना रात साढ़े आठ बजे संगीत (बाराहस्वर) मय गंगा आरती यानी महाआरती सम्पन्न की जाती है। इसके अलावा शत चंडी यज्ञ का आयोजन होता है जिसमें अनेक भक्तगण महाप्रसादी ग्रहण करते है। वहीं हर तीन दिन में महिलाओं द्वारा सुहागन पूजन किया जाता है। यहां के कारीगरों ने प्रवेश द्वार मी साज सज्जा व्यापक है बस स्टेन्ड समेत उत्कृष्ठ मैदान में पंडाल के साज सज्जा करने में कोलकाता से 25 कारीगारों द्वारा तैयार किया गया है रंग बिरंगी लाईटिंग की सज्जा जबलपुर के 20 कारीगरों ने किया है। इन देवी देवताओं की रखी गई प्रतिमाएं बस स्टेन्ड के दरबार में एक मां दुर्गा जी प्रतिमा रखी गई है और उत्कृष्ट मैदान में मा सरस्वती , मां लक्ष्मी , सती , महाकाली, मां सिहवाहिनी, सिंहारपाठ बैहर, हनुमान जी, मां यमीरूपणी, मां मदमावती, मां मरही जी बिलासपुर, मां जानूबाई, मां घेडसी, मां नाथलदाई जांजगीर चांपा, मां भवप्रीता, मां सुनरहाई, मां मुंगई बावनकेरा , बैहर की रानी मां मां कालीपाठ बालाघाट, मां बड़ी खैरमाता जी बैहर, मां शाकाम्भरी माता जी, मां सावित्री, मां विश्वेशरी, मां त्रिपूर सुन्दरी, मां सतबहनी बम्हनी बंजर, मां छिन्न मतिष्का, मां कुष्माण्डा, मां नंदीनी देवी, मां गोमता, मां तापी सूरत साहित अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गई है। उपरोक्त सार्वजनिक दुर्गात्सव समिति बस स्टेण्ड विगत 18 वर्षों से आयोजित किया जा रहा है इसमें 45 नवयुवकों का उत्साही सासकारियों का दल है अपने नाम का प्रचार प्रसार से दूर रहना इनका उद्देंश्य है।