बोधगया महाविहार के लिए बौद्ध अनुयायियों ने दिया धरना

0

बालाघाट(पदमेश न्यूज़)।बोधगया महाविहार वह स्थल है जिस स्थल में भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।जिसकी वजह से बोधगया महाविहार बौद्ध समुदाय का पवित्र स्थल है और इस स्थल पर नरमस्तक होने के लिए केवल प्रदेश या देश के ही नहीं बल्कि विदेशों तक के लोग व श्रद्धालु आते हैं लेकिन बौध्यो के इस पवित्र स्थल पर गैर बौध्यो ने अपना कब्जा कर लिया है। जहां महाबोधि मंदिर अधिनियम की आड़ में गैर बौद्ध ताकतो ने बोधगया पर अपना कब्जा जमा लिया है जो लोग बोधगया का गलत इतिहास प्रस्तुत कर रहे हैं और पूजा अर्चना की अलग विधि व पद्धति बता रहे हैं।ऐसा आरोप लगाते हुए पवित्र धार्मिक स्थल बोधगया से गैर बौध्दों का अतिक्रमण हटाने और उक्त पवित्र स्थल को बौद्धों की सुपुर्द किए जाने की मांग देश भर में पिछले माह फरवरी से की जा रही है। वहीं इसी मांग को लेकर बोधगया में 12 फरवरी से बौद्ध धर्मगुरुओं द्वारा आमरण अनशन किया जा रहा है।जहां शुरु किए गए इस आंदोलन का असर धीरे धीरे पूरे देश में देखने को मिल रहा है।जहा बोधगया के धार्मिक स्थल के आधिपत्य को लेकर बौध्य अनुयायियों द्वारा आए दिनों ज्ञापन आंदोलन किए जा रहे है।जिसकी समय समय पर झलक बालाघाट में भी देखने को मिल रही हैं।इसी कड़ी में मंगलवार को बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने नगर के आम्बेडकर चौक पहुचकर जनसभा का आयोजन किया।जिसके उपरांत नगर भ्रमण के लिए रैली निकालकर, आंबेडकर चौक में बौद्ध अनुयायियों ने सांकेतिक धरना दिया। जहां से नगर में रैली निकालकर, कलेक्ट्रेट में एसडीएम गोपाल सोनी को ज्ञापन सौंपा। इसमें उन्होंने उनकी उक्त मांग को जल्द से जल्द पूरा किए जाने की गुहार लगाई है।

08 दिनों के भीतर यह तीसरा बड़ा आंदोलन
12 फरवरी से बौद्धगया में आंदोलन का, जिले में समर्थन करते हुए बौद्ध अनुयायियों ने मंगलवार 11 मार्च को अपनी आवाज आम्बेडकर चौक से बुलंद करते हुए कलेक्ट्रेट तक पहुंचाई। इस आंदोलन की जिले में बड़ी बात यह है कि 8 दिनो में इसको लेकर, मंगलवार को तीसरा बड़ा आंदोलन किया गया।

बौद्धो को सौंपा जाएं अधिपत्य
बताया जा रहा है कि, बिहार के बौद्ध गया स्थित महाबोधि मंदिर के प्रबंधन को लेकर बौद्ध समुदाय, 1949 में बने बीटीएमसी (बिहार टेंपल मैनेजमेंट कमेटी) को खत्म करने की मांग कर रहा है। बौद्ध अनुयायी मांग कर रहे है, इसके प्रबंधन और कमेटी का सारा दायित्व, बौद्धो को सौंपा जाएं, ताकि यहां बौद्धो के रितिरिवाज और बौद्ध उपदेशो की तरह मंदिर का संचालन हो। बौद्ध अनुयायियो का आरोप है कि गैर बौद्धो के हाथो में मंदिर प्रबंधन होने से, यहां से पाखंड और अंधविश्वास फैलाया जा रहा है।जहां जनसभा को संबोधित करते हुए भदंत धम्मशिखर के साथ ही बी.उके, एल.डी. मेश्राम, एम.आर. रामटेके, प्रिती बरखा कांबले, रंजिता गजभिए, नीता हिरकने सहित अन्य सामाजिक लोगों ने इस विषय पर प्रकाश डालते हुए, हर हाल में अपना अधिकार लेकर रहने की बात कही।

प्रबंधन कमेटी, बौद्धो के हाथों में सौपी जाए- धम्मशिखर
भदंत धम्मशिखर ने बताया कि महाबोधि टेंपल एक्ट 1949 में समाप्त करें और महाबोधी, महाविहार की कमेटी और प्रबंधन कमेटी, बौद्धो के हाथो में दे और बौद्ध उसका संचालन करें, यही हमारी मांग है। एक्ट के तहत जो ट्रस्ट बना है, उसमें अन्य जाति के लोगों को हटाकर मंदिर का प्रबंधन केवल बौद्धों को दिया जाए।उन्होंने बताया कि एक्ट को खत्म करने और ट्रस्ट में गैर बौद्धो को हटाकर बौद्धो को शामिल करने की मांग को लेकर धर्मगुरू, अनशन कर रहे है, जिससे उनकी हालत बिगड़ रही है, हमारी मांग है कि इस मामले में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राज्यपाल हस्तक्षेप कर तत्काल एक्ट को खत्म करें और ट्रस्ट में बौद्ध प्रतिनिधियों को शामिल करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here