ब्रह्मांड को कैसे सिग्नल देती है ‘जीवित’ पृथ्वी, चंद्रयान-3 के साथ जा रहा ‘SHAPE’ रखेगा नजर, जानें खासियत

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जल्द ही मिशन चंद्रयान-3 लॉन्चिंग करने वाला है। इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने अभी संभावित तारीख 13 जुलाई बताई है लेकिन इसमें फेरबदल भी किया जा सकता है। चंद्रयान-2 मिशन की आखिरी समय में आंशिक असफलता के बाद इसरो चंद्रयान-3 मिशन को लेकर काफी अलर्ट है और चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए कई चंद्रयान-3 में कई अत्याधुनिक उपकरण लगाए हैं।

SHAPE करेगा धरती से भेजे सिग्नल का अध्ययन

चंद्रयान-3 के लैंडर में 4 पेलोड के साथ साथ 6 चक्के वाले रोवर में भी 2 पेलोड लगाए हैं। इसके अलावा चंद्रयान-3 के साथ Spectro-polarimetry of HAbitable Planet Earth (SHAPE) भी भेजा जा रहा है, जो चांद पर धरती की ओर से भेजे गए सिग्नल का अध्ययन करेगा। यह एक्सो-प्लेनेट की ओर से आने वाले परावर्तित प्रकाश के जरिए छोटे ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं का पता लगाने का कार्य करेगा।

ऐसे समझें SHAPE का महत्व

दुनियाभर के खगोल वैज्ञानिक धरती के समान जीवन की संभावनाओं वाले ग्रह की तलाश में जुटे हैं। खगोल वैज्ञानिक हर ग्रह के आने वाले रेडिएशन के जरिए संबंधित ग्रह के बारे में अध्ययन करते हैं और पता करते हैं हैं कि उसके गुण धर्म कैसे हैं और क्या वहां जीवन संभव है या नहीं। चूंकि धरती पर पहले से जीवन मौजूद हैं और वह अभी ब्रह्मांड में अपना रेडिएशन उत्सर्जित करती है। ऐसे में वैज्ञानिक यह पता करना चाहते हैं कि चांद की सतह पर ‘जीवित’ धरती से किस प्रकार के संकेत पहुंचते हैं, वैसे ही सिग्नल यदि धरती पर भी ब्रह्मांड से आ रहे हैं तो उस ग्रह पर जीवन की खोज की जा सकती है।

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