मॉस्को: ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की वजह से दुनिया का ध्यान इस वक्त कजान पर है। रूस के तातारस्तान प्रांत की राजधानी कजान इस समिट की मेजबानी कर रहा है। इससे कजान शहर का समृद्ध इतिहास और रणनीतिक महत्व भी सामने आ रहा है, जहां नरेंद्र मोदी, शी जिनपिंग, सिरिल रामफोसा जैसे नेता व्लादिमीर पुतिन के साथ जुटे हैं। विश्व नेताओं का यह जमावड़ा कजान की बढ़ती वैश्विक प्रमुखता को भी दिखा रहा है। कजान शहर का एक समृद्ध इतिहास रहा है और अब इसे रूस अपनी वैश्विक डिप्लोमेसी साधने के लिए भविष्य के सेंटर की तरह देख रहा है। ऐसा क्यों है इसके लिए शहर के इतिहास, वर्तमान और भविष्य की उम्मीदों पर नजर डालने से पता चलता है।
फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, कजान एक ऐतिहासिक शहर रहा है, जिसका रूसी इतिहास में बहुत महत्व है। कजान खानटे की राजधानी के रूप में स्थापित हुआ और 16वीं शताब्दी में इवान द टेरिबल ने इसे जीता। शहर को पुगाचेव के विद्रोह (1773-1775) के दौरान भारी तबाही देखी लेकिन बाद में कैथरीन द ग्रेट के शासनकाल में इसका पुनर्निर्माण किया गया और ये उद्योग, संस्कृति और धर्म का प्रमुख केंद्र बना। इसके बाद से शहर ने लगातार आगे बढ़ते हुए एक सफर तय किया है।
सोवियत संघ के गठन के बाद बढ़ी अहमियत
कजान की अहयमियत 1920 में सोवियत संघ के गठन के बाद बढ़ गई। यह तातार स्वायत्त सोवियत समाजवादी गणराज्य की राजधानी बन गया। आज के समय में कजान तातार और रूसी सांस्कृतिक का मिलाजुला प्रतीक है। 2009 में रूसी पेटेंट कार्यालय ने कजान को ‘रूस की तीसरी राजधानी’ और ‘रूस की खेल राजधानी’ का नाम दिया गया था।