भारत ने यूके के साथ होने वाली व्यापार वार्ता को रोक दिया है। ब्रिटिश अखबार द टाइम्स ने यूके की सरकार के सूत्रों के हवाले से इस बाबत जानकारी दी है। इस वार्ता को तब तक दोबारा शुरू नहीं किया जाएगा जब तक कि यूके की सरकार की तरफ से भारतीय उच्चायोग पर हमले करने वाले सिख चरमपंथियों की आलोचना करने वाला बयान सार्वजनिक तौर पर जारी नहीं किया जाता। मार्च में भारतीय उच्चायोग पर सिख चरमपंथी दाखिल हो गए थे। ये चरमपंथी दूतावास की पहली मंजिल तक पहुंच गए थे और इन्होंने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को निकालकर फेंक दिया था। चरमपंथियों ने इसकी जगह खालिस्तान का झंडा लगा दिया था। भारत इस घटना को लेकर यूके से काफी नाराज है।
भारत को मनाने की कोशिशें
यूके के गृह मंत्रालय की तरफ से वार्ता को पटरी पर लाने की कोशिशें की जा रही हैं। माना जा रहा है कि आने वाले हफ्तों में एक बड़ा ऐलान हो सकता है। साथ ही यूके की सरकार सिख चरमपंथियों और खालिस्तान आंदोलन से जुड़े समर्थकों के खिलाफ बड़ी कारवाई कर सकती है। खालिस्तान समर्थक भारत के राज्य पंजाब को अलग करने की मांग कर रहे हैं। भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से इस पूरी घटना पर कोई भी टिप्पणी नहीं की गई है। 19 मार्च को लंदन में जो कुछ भी हुआ उसके बाद भारत और यूके के रिश्तों में खटास आ गई है। इस घटना से पहले बीबीसी की तरफ से आई डॉक्यूमेंट्री ने भी काफी बवाल मचाया था। यह डॉक्यूमेंट्री भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर थी।
कई सालों से यूके कर रहा कोशिश
ब्रिटिश सरकार पिछले काफी समय से भारत के साथ इस ट्रेड डील को हासिल करने की कोशिशों में लगी हुई है। यूके की सरकार भारत, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है, वहां ब्रिटिश सर्विसेज के लिए टैरिफ में कटौती चाहती है और यहां पर नए अवसरों के तलाशना चाहती है। वहीं भारत में पंजाब पुलिस सिख अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह की तलाश कर रही है। अमृतपाल अपने फॉलोअर्स से खालिस्तान आंदोलन को फिर से जिंदा करने के लिए अपील कर रहा है। अमृतपाल के समर्थकों ने ही लंदन में भारतीय उच्चायोग में तोड़फोड़ की थी। इसी तरह की घटना सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हुई थी।
दिवाली पर होने वाली थी डील
भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका और ब्रिटेन दोनों के सामने विरोध दर्ज कराया था। साथ ही उच्चायोग को बेहतर सुरक्षा के लिए कहा। ब्रिटेन के व्यापार मंत्रालय के प्रवक्ता ने द टाइम्स को बताया ,’ब्रिटेन और भारत दोनों एक महत्वाकांक्षी और आपसी फायदे वाले मुक्त व्यापार समझौते को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों देशों के बीच पिछले हफ्ते ही व्यापार वार्ता का एक और दौर पूरा हुआ है। यूके को भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर पहुंचने की उम्मीद है। पहले यह सौदा पिछले साल दिवाली तक होने वाला था।