ब्रिटेन ने मानी भारत की सलाह, चागोस द्वीप पर मारीशस की संप्रभुता, लेकिन मिलिट्री बेस रहेगा जारी

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ब्रिटेन ने चागोस द्वीप पर मॉरीशस को संप्रभुता सौंपने का फैसला लिया है। इस फैसले में भारत ने अहम भूमिका निभाई है। भारत ने हमेशा से ही औपनिवेशीकरण के अंत का समर्थन किया है। मॉरीशस के साथ अपने मजबूत रिश्तों के चलते चागोस द्वीप समूह पर उसके दावे का भी सपोर्ट करता रहा। भारत का मानना है कि यह समझौता सभी पक्षों के लिए फायदेमंद है और इससे हिंद महासागर क्षेत्र में दीर्घकालिक सुरक्षा मजबूत होगी।

चागोस द्वीप पर भारत ने निभाया अहम रोल

इस ऐतिहासिक समझौते में डिएगो गार्सिया में स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे को लेकर भी 99 साल की लीज का प्रावधान है। यह समझौता भारत और अमेरिका के समर्थन से दो साल की बातचीत के बाद हुआ है। चागोस द्वीपसमूह के जरिए अवैध एंट्री की बढ़ती आशंकाओं के बीच यह कदम उठाया गया है। डिएगो गार्सिया हिंद महासागर में सबसे महत्वपूर्ण अमेरिकी सैन्य अड्डा है, जहां बड़े युद्धपोत और लड़ाकू विमान तैनात किए जा सकते हैं।

डिएगो गार्सिया में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति पर असर नहीं

इस समझौते से डिएगो गार्सिया में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। 99 साल की लीज के प्रावधान से यह सुनिश्चित होता है कि अमेरिका का यह अड्डा यहां बना रहेगा। ब्रिटेन और मॉरीशस ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर, समान संप्रभु राष्ट्रों के रूप में, बातचीत सम्मानजनक तरीके से की गई है। यह समझौता इस क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू करता है और औपनिवेशिक अतीत के साथ आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है।

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