नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक बार फिर हिंदुओं की आबादी को लेकर संकेतों में बात कही है। उन्होंने हिंदुओं का नाम लिए बगैर भारत में उनकी घटती जनसंख्या पर चिंता जाहिर की। परिवार की अहमियत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि अगर समाज की जनसंख्या वृद्धि दर गिरते-गिरते 2.1 प्रतिशत के नीचे चली गई तो तब समाज को किसी को बर्बाद करने की जरूरत नहीं, वह खुद ही नष्ट हो जाएगा। इसलिए कम से कम तीन बच्चे पैदा करना बेहद जरूरी है।
नागपुर में रविवार को ‘कथाले कुल सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, ‘कुटुंब यानी परिवार समाज का हिस्सा है और हरेक कुटुंब इसकी इकाई है। भागवत ने भले ही ये संकेत हिंदुओं के संदर्भ में दिया है, मगर हकीकत ये है कि आज महंगाई, बेरोजगारी की मार झेल रहा आम आदमी के लिए 3-3 बच्चे पैदा करना और उनका पालन-पोषण करना कितना मुश्किल हो सकता है। जहां 1 बच्चे के पालन पर ही अच्छी-खासी रकम खर्च हो जाती है। जानते हैं कि देश में बच्चे पालना कितना महंगा हो सकता है।
चीन को पछाड़कर भारत दुनिया में आगे, हिंदू आबादी गिरी
इसी साल भारत बढ़ती आबादी की लंबी छलांग लगाते हुए चीन को पछाड़ कर जनसंख्या में मामले में दुनिया में नंबर वन पर आ गया। हालांकि, भारत में बहुसंख्यक हिंदू पिछली जनगणना में 80 प्रतिशत थे। जो अब इस साल तक उनकी जनसंख्या वृद्धि दर घटने से देश में उनकी कुल आबादी घटकर 78.9 प्रतिशत ही रह गई है। वहीं, हिंदू आबादी अब भी देश में करीब 100 करोड़ है। दुनिया के 95 प्रतिशत हिंदू भारत में रहते हैं। वहीं, देश में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर बढ़ी है।
भारत में किसी बच्चे को पालने में क्या खर्च आता है?
भारत में बच्चे के पालन-पोषण का बजट जगह, लाइफस्टाइल और व्यक्तिगत पसंद सहित कई तरह के फैक्टर्स पर निर्भर करता है। ‘द लॉजिक स्टिक’ के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, एक बच्चे के जन्म से लेकर 18 साल तक के पालन-पोषण की अनुमानित लागत 30 लाख से रुपए से लेकर 1.2 करोड़ रुपए तक आती है। यह शहरों और गांवों में परिस्थितियों के मुताबिक अलग-अलग हो सकती है।